“मोटापा कम करे अरण्डी” इसके अलावा और क्या है फायदे आपके लिए…
आयुर्वेद से आरोग्य – 08
- वानस्पतिक नाम- Ricinus communis (रिसिनस कम्युनिस)
- कुल-युफोरबियेसी (Euphorbiaceae) हिन्दी- अरण्डी, इरण्डी
- अंग्रेजी- कैस्टर, कैस्टर सीड (Castor, Castor Seed) संस्कृत- पंचागुला, चंकुका, दिर्घदंड्का, इरंडा
अरण्डी की खेती भारत के अनेक हिस्सों में की जाती है। आयुर्वेद में अरण्डी को एक विरेचक औषधि के तौर पर उत्तम माना गया है। अरण्डी का वानस्पतिक नाम रिसिनस कम्युनिस है। अरण्डी के तेल को मुख्यतः जुलाब लेने के लिए उपयोग में लिया जाता है। एक कप दूध में 2 चम्मच तेल डालकर सोते समय पीना चाहिए। असर ना होने पर इसकी मात्रा दूसरे दिन बढ़ाकर लेना चाहिए। स्तनों की शिथिलता दूर करने के लिए अरण्ड के पत्तों को सिरके या नींबू रस में पीसकर स्तनों पर गाढ़ा लेप करने से कुछ ही दिनों में स्तनों का ढीलापन दूर हो जाता है। अरण्डी पुराने मल को निकालकर पेट को हल्का करती है। यह वात, साइटिका, पेट में पानी की अधिकता, समस्त वायुरोगों की नाशक है। इसके पत्ते, जड़ और बीज, उसका तेल आदि सभी औषधि के रूप में इस्तेमाल किए जाते हैं।
डाँग-गुजरात के आदिवासियों के अनुसार अरण्डी के फूल ठंड से उत्पन्न रोग जैसे खांसी, जुकाम और बलगम तथा पेट दर्द संबंधी बीमारी का नाश करते हैं। पातालकोट के आदिवासी हर्बल जानकार ऐसे शिशु जिनके सिर पर बाल नहीं उगते हो या बहुत कम हो या ऐसे पुरुष स्त्री जिनकी पलकों व भौंहों पर बहुत कम बाल हों तो उन्हें एरंड के तेल की मालिश नियमित रूप से सोते समय करने की सलाह देते हैं । अरण्डी की जड़ का काढ़ा छानकर एक-एक चम्मच की मात्रा में शहद के साथ दिन में तीन बार सेवन करें, ऐसा करने से मोटापा कम हो जाता है। (साभार: आदिवासियों की औषधीय विरासत पुस्तक से )
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