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मीडिया फोटोग्राफी में क्रांतिकारी बदलाव है डिजिटल टेक्नोलॉजी

सूर्य केन्द्रित फोटोग्राफी में अदभुत प्रयोग

आपकी रुचि फोटोग्राफी में हो या न हो , हर हाल में ये प्रयोग आपको आंनद से विभोर कर देंगे । पूर्ण रूप से आनंदित होने के लिए इन सभी तस्वीरों को ध्यान से देखना होगा। हर तस्वीर मे एक छोटी सी कहानी की थीम छिपी हुई है। हर एक तस्वीर में लय है, ताल है और एक्शन के साथ गंभीर थीम का भाव अंतर्निहित है। यदि आपने कुछ तस्वीरों को मिलाकर बनने वाले थीम को आपस में जोड़ लिया तो, आपके आश्चर्य जनित आनंद का ठिकाना नहीं रहेगा। 21 वीं शताब्दी के शुरुआत में, जब से डिजिटल तकनीक का प्रयोग फोटोग्राफी में बढ़ा है, उसके बाद से इस विधा में क्रांति कारी परिवर्तन के साथ नित नए प्रयोग हो रहे हैं। ऐसा ही यह बहुचर्चित प्रयोग एक 20 वर्षीय युवा छायाकार ने किया है । उसकी सोच, जज्बा एवम् लगन की चहुंओर खूब प्रशंसा हो रही है।

इन तस्वीरों को देखकर मुझे वाराणसी में अपनी पत्रकारिता का प्रारंभिक दौर बरबस ही याद आ रहा है। 1984 – 85 में मैंने पत्रकारिता की शुरुआत फोटो पत्रकारिता के माध्यम से ही की थी। उन दिनों वाराणसी से आज, जनव।र्ता, आवाजें मुल्क, कौमी मोर्चा, गांडीव ,सन्मार्ग ,जन्मुख, जयदेश आदि समाचार पत्रों का प्रकाशन हुआ करता था।

कुछ वर्षों के बाद ही दैनिक जागरण का व्यूरो कार्यालय शुरू हुआ। कम ही समय के उपरांत दैनिक जागरण के वाराणसी यूनिट की शुरुआत अंधरापुल से की गई । उसी दौर में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह के कर कमलों द्वारा, स्वतंत्र भारत और दी पायोनियर समाचार पत्रों का प्रकाशन भी वाराणसी में प्रारंभ हुआ था। कालांतर में काशी वार्ता , राष्ट्रीय सहारा, हिंदुस्तान , अमर उजाला , जनसंदेश आदि समाचार पत्रों का प्रकाशन वाराणसी से प्रारंभ हुआ।

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Dr Ram Shankar

उस दौर में रंगीन फोटो ग्राफी अपने शिशु काल में थी । इस कारण उसकी फोटो फिल्म रोल (निगेटिव) बहुत ही महंगी होती थी। बहुत खर्चीला होता था रंगीन फोटो क्लिक करना और उसका प्रिंट बनवाना। समाचार पत्रों में भी रंगीन फोटो छापने की तकनीक नहीं विकसित हुई थी। सिर्फ श्वेत श्याम (ब्लैक एंड व्हाइट ) फोटो ही प्रकाशित हुआ करती थीं। काफी मेहनत भरा और जोखिम पूर्ण था फोटो पत्रकारिता करना। न्यूज़ फोटो की तलाश में प्रतिदिन सुबह, भारी भरकम कैमरों और ज़ूम लेंस भरा बैग के साथ निकलना और पूरे वाराणसी शहर का चक्रमण करना।

शहर में घटने वाली घटनाओं और दुर्घटनाओं को क्लिक करके, न्यूज फोटो बनाना, स्टूडियो के डार्क रूम में ब्लैक एंड व्हाइट फिल्म रोल को केमिकल भरे ट्रे में धीरे धीरे धोना , उसे पंखा चला कर जल्दी जल्दी सुखाना ,काले रंग की बनी उस निगेटिव से इनलार्जर के द्वारा, ब्लैक एंड व्हाइट फोटो तैयार करके , उस फोटो को गोदौलिया स्थित जौहरी मेटल वर्क्स के यहां ले जाकर उसका मेटल पर ब्लॉक बनवाना । इस फोटो ब्लॉक को दैनिक समाचार पत्रों के दफ्तर तक पहुंचाना होता था। यही फोटो ब्लॉक समाचार पत्र के पृष्ठ पर , सम्बंधित समाचार के साथ फ्रेम में कसा जाता था। ताकि वह प्रिटिंग के वक्त हिल डुल न सके। ट्रेडिल मशीन में जब यह फोटो समाचार पत्रों में प्रकाशित होती थी , तब थोड़ी सी असावधानी में समाचार पत्र में प्रकाशित फोटो बिलकुल डार्क या काली हो जाया करती थी। सारे मेहनत पर पानी फिर जाता था। फिर भी पत्रकारिता के जुनून के कारण कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

मुझे यह सौभाग्य मिला है कि, मैं पत्रकारिता के चार तकनीकी बदलाव का सक्रिय साक्षी बना । सन् 80 के दशक में ट्रेडिल मशीन और ब्लैक एंड व्हाइट फोटो ब्लॉक छपाई , 90 के दशक में कंप्यूटरीकृत ऑफसेट मशीन पर ब्लैक एंड व्हाइट और रंगीन फोटो की छपाई वाली तकनीक, सन 2000 में सैटेलाइट तकनीक से मीडिया फोटो एवम् पेज का संप्रेषण तथा मीडिया हाउस के एक ही यूनिट से विभिन्न राज्यो में नवीन संस्करणों का प्रकाशन और 2010 के बाद डिजिटल तकनीक से लैस ब्रांडेड पत्रकारिता। अभी भी इसमें लगातार तकनीकी बदलाव हो रहे हैं। आज के दौर में प्रिंट मीडिया के साथ ही चैनल मीडिया, ऑनलाइन मीडिया के द्वारा पत्रकारिता का आकर्षण बहुत बढ़ गया है। हर हाथ में एंड्रॉयड स्मार्टफोन आने के बाद सोशल मीडिया के उद्भव ने, समाज और मीडिया के अंतर संबंधों की एक नई विमर्श प्रारंभ कर दी है।

गत 35 वर्षों के पत्रकारिता के दौरान मैंने एस एल आर लॉन्ग एवम् शार्ट ज़ूम कैमरे के माध्यम से, हजारों ऐसी तस्वीरें क्लिक करके फोटो फीचर तैयार की, जो अब इतिहास बन गई हैं । विशेष रूप से शीर्ष राजनैतिक , साहित्यिक ,सांगीतिक आदि क्षेत्रों के व्यक्तित्वों की साक्षात्कार एवम् पर्सनालिटी फोटो, विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होकर इतिहास के पन्नों में स्थान बना ली कलम से लिखी गई इतिहास और कैमरे से क्लिक की गई इतिहास , दोनो का ही विशेष महत्व होता हैं। मेरे व्यक्तिगत मीडिया लाइब्रेरी में, मेरे द्वारा क्लिक की कई प्रधानमंत्री , राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री सहित अनेकों राजनेताओं, साहित्यिक और संगीत क्षेत्र की विभूतियों, फिल्मकलाकार , रक्षत गंगम आंदोलन, बाबरी मस्जिद और राम जन्म भूमि आंदोलन , मारिशस यात्रा के दौरान गंगा तालाब के साथ ही अनेकों ऐतिहासिक स्थलों के फोटो एवम् विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित, मेरी बाइलाइन लेख एवम् फोटो फीचर, पत्रकारिता के विद्यार्थियों हेतु उपयोगी दस्तावेज के रूप में सुरक्षित हैं।

मैंने ब्लैक एंड व्हाइट फोटो और उसके बाद रंगीन फोटो पत्रकारिता की शुरुआत एस एल आर कैमरा पैंटेक्स और याशिका से की थी। बाद में निकोन, कैनान, कार्ल जिओएस आदि विभिन्न कैमरों के माध्यम से कई वर्षों तक खूब मेहनत किया । महामना की बगिया का विद्यार्थी होने के कारण मै कलम के साथ ही कैमरे में भी निपुण था । इसी का नतीजा रहा कि फोटो पत्रकारिता के क्षेत्र में मेरे क्लिक किए चित्र और लेख , राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में कई वर्षों तक लगातार प्रकाशित हुए । इनमे से कई फोटो फीचर राष्ट्रीय स्तर पर खूब चर्चित हुए। कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी मिले । जिन समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के साथ जुड़ा रहा उनमें धर्मयुग, इंडिया टुडे, दिनमान, साप्ताहिक हिंदुस्तान, दिनमान टाइम्स, चौथी दुनिया , संडे मेल, संडे आब्जर्वर , रविवार, माया, जनसत्ता, आज, दैनिक जागरण, जनवर्ता, स्वतंत्र भारत, एन आई पी , नई दुनिया आदि प्रमुख हैं।

आज नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती है। कम लोगो को पता है कि नेताजी को फोटोग्राफी का भी शौक था। उनके आजाद हिन्द फौज में कई साथी थे , जो फोटोग्राफी में निपुण थे। इसी कारण नेताजी की कई बेहतरीन ऐतिहासिक फोटो हमे आज भी देखने को मिल जाती हैं।आज मै नेता जी को श्रद्धा से याद करने के साथ ही अपने पत्रकारिता के शिक्षण और प्रशिक्षण के गुरुजनों को भी याद करके , उन्हें प्रणाम करता हूं।

इनमे पद्मश्री अंजन कुमार बनर्जी, प्रो विद्या निवास मिश्र, संपादक प्रभास जोशी, राजेंद्र माथुर, मृणाल पाण्डे, सुरेन्द्र प्रताप सिंह, उदयन शर्मा, घनश्याम पंकज, जगदीश उपासने, अभय छजलानी,प्रो राम मोहन पाठक, प्रो अर्जुन तिवारी , पद्मश्री राम बहादुर राय , प्रो बलदेव राज गुप्त, प्रो अनिल कुमार उपाध्याय , बच्चन सिंह, बाबू भुलन सिंह, दीना नाथ गुप्त, ईश्वर देव मिश्रा, एस अतिबल , मनोहर खडिलकर, श्याम नारायण पांडेय, सुशील त्रिपाठी ,अमिताभ भट्टाचार्य , योगेन्द्र नारायण शर्मा आदि का नाम विशेष उल्लेखनीय है।

*लेखक डॉ राम शंकर सिंह एक वरिष्ठ पत्रकार है यह लेख उनके ही द्वारा लिखित पत्रकारिता सफर के अनुभव , सोच और उनके जीवन पर आधारित है।