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Supriya allegation on Modi Gov: मोदी सरकार ने 9 साल में देश का कर्ज तिगुना कियाः सुप्रिया श्रीनेत

Supriya allegation on Modi Gov: हर हिंदुस्तानी पर 1.20 लाख कर्ज का बोझ, कर्ज का फायदा सिर्फ़ पूँजीपतियों कोः सुप्रिया

नई दिल्ली, 10 जूनः Supriya allegation on Modi Gov: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने आज (10 जून) एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की। जिसमें कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा। सुप्रिया ने कई मुद्दों को लेकर सरकार से कड़े सवाल किए।

उन्होंने कहा कि, मोदी सरकार ने 9 साल में देश कर्ज तिगुना कर दिया हैँ। साथ ही साथ उन्होंने कहा, 2014 में कर्ज 55 लाख करोड़ से बढ़कर अब 155 लाख करोड़ के पार पहुंच गया हैं। सुप्रिया ने कहा कि, 14 प्रधानमंत्रियों ने 67 साल में 55 लाख करोड़ का कर्ज लिया किंतु मोदी ने अकेले ही 100 लाख करोड़ का कर्ज लिया हैं।

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, हर हिंदुस्तानी पर 1.20 लाख क़र्ज़ का बोझ हैं। इसका फायदा केवल पूंजीपतियों को हैं। जीएसटी को लेकर सुप्रिया ने कहा कि सबसे निचली 50 प्रतिशत जनता के पास देश की मात्र 3 प्रतिशत संपत्ति, किंतु जीएसटी का कुल 64 प्रतिशत भुगतान। उन्होंने कहा, हिंदुस्तान में दुनिया की सबसे महँगी रसोई गैस और तीसरा सबसे महँगा पेट्रोल हैं।

नरेंद्र मोदी ने वह कर दिखाया जो उनसे पहले 14 प्रधानमंत्री नहीं कर पाएः सुप्रिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि, नरेंद्र मोदी इस देश के 15वें प्रधानमंत्री है और यकीन मानिए उन्होंने वह कर दिखाया जो उनसे पहले 14 प्रधानमंत्री नहीं कर पाए। आजादी के 67 साल में जहाँ 14 प्रधानमंत्रियों ने मिलकर 55 लाख करोड़ का ऋण लिया वहीं मोदी जी ने अपने 9 साल में इसको तिगुना करके 155 लाख करोड़ पहुँचा दिया। मतलब 9 साल में 2014 से अब तक- हमारे देश का कर्जा 100 लाख करोड़ से भी ज़्यादा से बढ़ाया गया है।

100 लाख करोड़ कर्ज बढ़ाए जाने का मतलब है आज हर हिंदुस्तानी पर- मतलब पैदा हुए नवजात शिशु के सिर पर भी करीब 1.2 लाख का कर्ज है।

मोदी सरकार ने लिया हर सेकंड 4 लाख का कर्जः सुप्रिया श्रीनेत

नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल के हर सेकंड 4 लाख रुपये का कर्ज, हर मिनट 2.4 करोड़ का कर्ज, हर घंटे 144 करोड़ का कर्ज, 3456 करोड़ हर दिन का कर्ज, हर महीने 1.03 लाख करोड़ और हर साल 12.47 लाख करोड़ इस देश पर लाद दिया है।

खतरनाक: कर्ज- GDP अनुपात 84%

कांग्रेस प्रवक्ता द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही गई बातें…

बात बात पर बाकी देशों का हवाला देने वाली इस सरकार का कड़वा सच यह है कि भारत का ऋण और GDP का अनुपात 84% से ज़्यादा है जबकि बाक़ी विकासशील/उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं का औसतन 64.5% है।

समस्या यह ऋण चुकाने की भी है- इस ऋण को चुकाने में हर साल 11 लाख करोड़ का तो ब्याज ही दिया जा रहा है। CAG की रिपोर्ट के अनुसार, 2019-20 में ही ऋण स्थिरता नकारात्मक हो गई थी, जबकि तब सरकारी क़र्ज़ GDP का 52.5% था जो अब बढ़ कर 84% आ पहुँचा है- इसीलिए ऋण चुकाने की क्षमता भी अब संदिग्ध है।

बड़ा सवाल तो यह भी है कि इस बढ़ते हुए कर्ज से फ़ायदा किसको हो रहा है। क्योंकि एक बात साफ़ है कि इस भयावह क़र्ज़ के बोझ के तले देश का आम आदमी दबा ज़रूर है लेकिन इसका लाभ ना तो गरीब को ना मध्यम वर्ग को बल्कि सिर्फ़ और सिर्फ़ प्रधानमंत्री के चंद पूंजीपति मित्रों को ही मिल रहा है। 23 करोड़ लोग गरीबी की सीमा रेखा से नीचे हैं, 83% लोगों की आय घटी है, एक साल में क़रीब 11,000 से ज़्यादा लघु मध्यम उद्योग (MSME) बंद हो रहे हैं लेकिन देशकर अरबपतियों की संख्या 2020 में 102 से बढ़कर 2022 में 166 हो गई!

लेकिन क्या सबसे बड़े लाभार्थी होने के बावजूद यह पूँजीपति देश के विकास में या टैक्स अदा करने में कोई कारगर भूमिका निभा रहे हैं?

इसीलिए बात कर लेते हैं- एक और जुड़े हुए तथ्य की- और वो है टैक्स कलेक्शन। मोदी सरकार के अल्पज्ञानी कूद लिए कर बतायेंगे कि पिछले 9 सालों में ना सिर्फ कर्ज बल्कि टैक्स कलेक्शन भी तिगुना हो गया है। पर इससे ज़्यादा बड़ा कोई कुतर्क हो ही नहीं सकता।

सबसे गरीब दे रहे हैं GST का 64%, सबसे अमीर मात्र 3%

इस भयावह आर्थिक असमानता के दौर में टैक्स की असल वसूली तो देश के सबसे गरीब और निम्न मध्यम वर्ग के लोग ही कर रहे हैं। GST कलेक्शन का डंका पीटने वाले यह नहीं बताते हैं कि जिस 50% की आबादी के पास देश की कुल संपत्ति का सिर्फ 3% हिस्सा है वो 64% से ज़्यादा GST कलेक्शन का भुगतान कर रही है और यह कितनी बड़ी विडंबना है कि जिन 10% धन्ना सेठों के क़ब्ज़े में देश की 80% संपत्ति है वो सिर्फ़ और सिर्फ़ GST कलेक्शन का मात्र 3-4% ही भुगतान कर रहे हैं।

साफ़ है कि आटा, दही, दवाई, पढ़ाई पर लगे GST का बोझ तो गरीब ही उठा रहा है- आपके जैसे मध्यम वर्ग का दोहन किया जा रहा है और साहेब के चहेते सेठ मस्त हैं.

लेकिन सच्चाई से मुँह मोड़ कर खड़ी मोदी सरकार की आँख तो तथ्य देख कर भी नहीं खुलती। GST जैसे इनडायरेक्ट टैक्स का प्रहार सबसे ज़्यादा गरीब पर होता है- आज हिंदुस्तान कंजम्पशन मतलब उपभोग का गिरना इसी बात का सबूत है। हाल ही के आए GDP आँकडें में भी उपभोग पिछले साल के मुक़ाबले इस साल गिरा है (61.1% of GDP से गिरकर 60.6%)

सीधे शब्दों में कहें तो भारत की निचली 50% आबादी शीर्ष 10% की तुलना में अपनी आय के प्रतिशत के हिसाब से GST और excise duty जैसे इनडायरेक्ट टैक्स पर छह गुना से ज़्यादा भुगतान कर रही है।

सरकार की लूट का यह आलम है कि रुपये की ख़रीद की क्षमता से देखा जाए तो दुनिया में सबसे महँगी रसोई गैस, तीसरा सबसे महँगा पेट्रोल और आठवाँ सबसे महँगा डीजल देश में बिक रहा है।

गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए मोदी जी बहुत बड़ी बड़ी बातें करते थे- पर अब 9 साल से प्रधानमंत्री के पद पर रहकर अपने आर्थिक कुप्रबंधन से इस देश की अर्थव्यवस्था का बेड़ा गर्क करके, महंगाई, बेरोज़गारी और क़र्ज़े का बोझ लाद देने के बाद मोदी जी आपको भी समझना पड़ेगा कि सिर्फ़ ज़बानी जमा खर्च और कैमराजीवी बने रहने से काम नहीं चलने वाला- हम इस मंच से माँग करते हैं कि सरकार बिना विलंब के आज हिंदुस्तान की बदहाल अर्थव्यवस्था पर एक श्वेतपत्र जारी करे

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