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Railway employees bonus: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रेल कर्मचारियों को वित्त वर्ष 2020-21 के लिए उत्पादकता आधारित बोनस को मंजूरी दी

Railway employees bonus: रेल कर्मचारियों को 78 दिनों के पीएलबी के भुगतान का वित्तीय भार 1984.73 करोड़ रुपये होने का अनुमान है

नई दिल्ली, 06 अक्टूबरः Railway employees bonus: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आज सभी पात्र अराजपत्रित रेल कर्मचारियों (आरपीएफ/आरपीएसएफ कार्मिकों को छोड़कर) के लिए वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 78 दिनों के वेतन के बराबर उत्पादकता आधारित बोनस (पीएलबी) को मंजूरी दे दी है। रेल कर्मचारियों को 78 दिनों के पीएलबी के भुगतान का वित्तीय भार 1984.73 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।

Railway employees bonus: पात्र अराजपत्रित रेल कर्मचारियों को पीएलबी के भुगतान के लिए निर्धारित वेतन गणना की सीमा 7,000 रुपये प्रतिमाह है। प्रति पात्र रेल कर्मचारी के लिए 78 दिनों की अधिकतम देय राशि 17,951 रुपये है। इस निर्णय से लगभग 11.56 लाख अराजपत्रित रेल कर्मचारियों को लाभ होने की संभावना है। पात्र रेल कर्मचारियों को पीएलबी का भुगतान प्रत्येक वर्ष दशहरा/पूजा की छुट्टियों से पहले किया जाता है। कैबिनेट के इस निर्णय को इस साल की छुट्टियों से पहले ही लागू किया जाएगा।

वित्त वर्ष 2010-11 से 2019-20 के लिए 78 दिनों के वेतन की पीएलबी राशि का भुगतान किया गया। वर्ष 2020-21 के लिए भी 78 दिनों के वेतन के बराबर पीएलबी राशि का भुगतान किया जाएगा, जिससे कर्मचारी रेलवे के कार्य निष्पादन में सुधार की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित होंगे। रेलवे में उत्पादकता से जुड़ा बोनस पूरे देश में फैले सभी अराजपत्रित रेलवे कर्मचारियों (आरपीएफ/आरपीएसएफ कर्मियों को छोड़कर) को कवर करता है।

कैबिनेट की 23.9.2000 को हुई बैठक में कैबिनेट द्वारा अनुमोदित फॉर्मूले के अनुसार वर्ष 1998-99 से 2013-14 (2002-03 से 2004-05 को छोड़कर, जब कैपि‍टल वेटेज तथा कर्मचारियों की संख्या के संदर्भ में मामूली बदलाव किए गए थे) तक पीएलबी का भुगतान किया गया है। यह फॉर्मूला इनपुट: आउटपुट आधारित था, जहां आउटपुट की गणना कुल टन किलोमीटर के रूप में की गई थी और इनपुट को अराजपत्रित कर्मचारियों की कैपिटल वेटेज द्वारा संशोधित संख्या (आरपीएफ/आरपीएसएफ कर्मियों को छोड़कर) के रूप में माना गया था।

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वित्त वर्ष 2012-13 के लिए 78 दिनों के वेतन के समतुल्य पीएलबी को एक विशेष मामले के रूप में इस शर्त के साथ अनुमोदित किया गया था कि छठे सीपीसी की सिफारिशों और वित्त मंत्रालय के विचारों को ध्यान में रखते हुए पीएलबी के फार्मूले पर फिर से विचार किया जाएगा। इसके परिणामस्वनरूप, रेल मंत्रालय ने एक नया फॉर्मूला तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया।

समिति ने सिफारिश की थी कि वर्ष 2000 के फॉर्मूले और ऑपरेशन रेशियो (ओआर) पर आधारित डाई न्यू फॉर्मूला दोनों का वेटेज 50:50 के अनुपात में हो सकता है। इस फॉर्मूले ने भौतिक मापदंडों के संदर्भ में तथा वित्तीय मानकों के रूप में भी उत्पादकता के समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया है। समिति द्वारा अनुशंसित फॉर्मूले का इस्तेमाल 2014-15 से 2019-20 तक पीएलबी की गणना के लिए किया गया है।

रेलवे भारत सरकार का पहला विभागीय उपक्रम था, जिसमें वर्ष 1979-80 में पीएलबी की अवधारणा पेश की गई थी। उस समय अर्थव्यवस्था में कार्य-निष्पादन में बुनियादी ढांचे के समर्थन के तौर पर कुल मिलाकर रेलवे की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में मुख्य रूप से विचार किया गया था। रेलवे के कामकाज के समग्र संदर्भ में, ‘बोनस भुगतान अधिनियम-1965’ की तर्ज पर बोनस की अवधारणा के विपरीत पीएलबी की अवधारणा को पेश करना वांछनीय समझा गया।

भले ही बोनस भुगतान अधिनियम रेलवे पर लागू नहीं होता, फिर भी उस अधिनियम में निहित व्यापक सिद्धांतों को ‘‘पारिश्रमिक/वेतन की उच्चतम सीमा’’, ‘वेतन’/‘पारिश्रमिक’ आदि के निर्धारण के उद्देश्य से ध्यान में रखा गया था। रेलवे के लिए पीएलबी योजना वर्ष 1979-80 से लागू हुई और दो मान्यता प्राप्त संघों, अखिल भारतीय रेलवेमैन्स फेडरेशन और नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमैन के परामर्श से तथा कैबिनेट के अनुमोदन से तैयार की गई थी। इस योजना में हर तीन साल में समीक्षा की परिकल्पना की गई है।

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