Literary seminar: उर्दू अकादमी द्वारा बड़वानी में “साहित्यिक गोष्ठी” आयोजित
Literary seminar: मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी द्वारा ज़िलेवार गतिविधि “सिलसिला” के अंतर्गत बड़वानी में “साहित्यिक गोष्ठी” आयोजित
बड़वानी, 22 अक्टूबरः Literary seminar: देश की आजादी के 75 वर्ष के अवसर अमृत महोत्सव के अंतर्गत मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी, संस्कृति परिषद, संस्कृति विभाग द्वारा प्रदेश में संभागीय मुख्यालयों पर नवोदित रचनाकारों पर आधारित “तलाशे जौहर” कार्यक्रम सम्पन्न होने के बाद अब ज़िला मुख्यालयों पर स्थापित एवं वरिष्ठ रचनाकारों के लिए “सिलसिला” के अंतर्गत कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। इस कड़ी का पच्चीसवां कार्यक्रम में 22 अक्तूबर को सुबह 11:00 बजे रेणुका कालेज, निवाली रोड, सेंधवा, बड़वानी में “शेरी व अदबी नशिस्त” का आयोजन किया गया।
अकादमी की निदेशक डॉ. नुसरत मेहदी के अनुसार उर्दू अकादमी द्वारा अपने जिला समन्वयकों के माध्यम से प्रदेश के सभी जिलों में आज़ादी का अमृत महोत्सव के तहत “सिलसिला” के अन्तर्गत व्याख्यान, विमर्श व काव्य गोष्ठियाँ आयोजित की जा रही हैं। जिला मुख्यालयों पर आयोजित होने वाली गोष्ठियों में सम्बंधित जिलों के अंतर्गत आने वाले गाँवों, तहसीलों, बस्तियों इत्यादि के ऐसे रचनाकारों को आमंत्रित किया जा रहा है जिन्हें अभी तक अकादमी के कार्यक्रमों में प्रस्तुति का अवसर नहीं मिला है अथवा कम मिला है।
इस सिलसिले के चौबीस कार्यक्रम भोपाल, खण्डवा, विदिशा, धार, शाजापुर टीकमगढ़, सागर एवं सतना, रीवा, सतना सीधी, रायसेन, सिवनी, नरसिंहपुर नर्मदापुरम दमोह, शिवपुरी, ग्वालियर, बुरहानपुर, देवास, रतलाम, बालाघाट, छिंदवाड़ा, अशोक नगर, हरदा बैतूल, जबलपुर एवं गुना में आयोजित हो चुके हैं और आज यह कार्यक्रम बड़वानी ज़िले के सेंधवा में आयोजित हुआ जिसमें ज़िले के रचनाकारों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत प्रस्तुत कीं।
बड़वानी ज़िले के समन्वयक सैयद रिजवान अली ने बताया कि आयोजित साहित्यिक गोष्ठी में 10 शायरों और साहित्यकारों ने शिरकत की। कार्यक्रम की अध्यक्षता बड़वानी के वरिष्ठ शायर कादिर हनफी ने की। मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. के आर शर्मा एवं विशेष अतिथि के रूप में मुन्ना शेख मंच पर उपस्थित रहे। प्रोफेसर के आर शर्मा ने समाज में साहित्य का योगदान और महत्व के बारे बताया।
मनोज मराठे ने अपने उद्धबोधन में मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी की कार्य प्रणाली और अकादमी के इतिहास के बारे विस्तार से जानकारी दी
जिन शायरों ने अपना कलाम पेश किया उनके नाम और अशआर इस प्रकार हैं।
सजाउद्दीन बेबाक मरीज़े इश्क़ को हरगिज़ शिफा नहीं मिलती
ये ऐसा दर्द है जिसकी दवा नही मिलती
कादिर हनफी
कोई पुरज़ोर हवा ऐसी चला दे या रब सारे आलम में पहुँच जाए, अमन की खुश्बू।
जुनैद अहमद जुनैद
वो जो पाज़ेब थी जिसकी उसे लौटा दी है यारों
गलत कहती है ये दुनिया शराफत छोड़ दी हमने।
इस्लामुद्दीन हैदर
ऐसा बन जाऊं मैं वो फिक्र खुदा दे मुझको
दोस्त तो दोस्त हैं दुश्मन भी दुआ दे मुझको।
वाजिद हुसैन साहिल
लुटाने अपने उजाले मुदाम निकलेंगे
ये महरो-माह की तरह सुब्हो शाम निकलेंगे
तु अपने बच्चों को तालीम से तो कर रौशन
फिर उनमें देखना कितने कलाम निकलेंगे “।
पवन शर्मा
मेरा वतन जो है आज कामयाबी के आसमान में
हमारी पचहत्तर वर्षों की तपस्या का परिणाम है यह।
समीर खान
हमको मतलब नहीं ज़माने से
हम मुह़ब्बत की बात करते हैं “।
विशाल त्रिवेदी आदिल
रोप दो इक शजर आदमी के लिए,
ज़िन्दगी है अदम की ख़ुशी के लिए
शाकिर शेख
दुश्मन ही नहीं अपने भी दे देते है धोका,
हम किस पे भरोसा यहां अब यार करेंगे ।
हाफीज़ शेख
पाँव रखता हु अब संभल कर मैं
ये जमी अब ढलन सी लगती है ।
शाहरुख शाद
“मैने भी इस लिये आवाज़ को बुलंद कर रखी है,
हमारे सर भी कट जाए तो दस्तार नही गिरती।
सैयद रिज़वान अली
भुला दें दिल से भला किस तरह़ तुम्हें जानाँ
किसी को दिल से भुलाना हमें नहीं आता
शेरी नशिस्त का संचालन वाजिद हुसैन साहिल द्वारा किया गया।
कार्यक्रम के अंत में सैयद रिज़वान अली ने सभी का आभार व्यक्त किया।
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