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Teacher a guide: शिक्षक एक पथ प्रदर्शक

Teacher a guide: “शिक्षणं करोति यः सः शिक्षकः”

Teacher a guide: शिक्षक वह पथ प्रदर्शक होता है जो हमें किताबी ज्ञान के साथ-साथ जीवन जीने की कला को सिखाते हुए हमें पथ प्रदर्शन करता हैं। शिक्षक का दर्जा समाज में हमेशा से ही पूज्यनीय रहा है चाहे वह गुरु के रूप में हो या आचार्य के रूप में। या यूँ कहे कि उनसे लौकिक ज्ञान मिले या आध्यात्मिक ज्ञान।
“शिक्षणं करोति यः सः शिक्षकः”
अर्थात जो शिक्षण–सीखने-सिखाने का कार्य करता है वह शिक्षक है। शिक्षक के लिए आचार्य, उपाध्याय, उपदेशक, गुरु आदि शब्दों का प्रयोग मिलता है।
महर्षि अरविन्द घोष ने एक आदर्श शिक्षक के बारे में कहा था-
“शिक्षक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं। वे संस्कारों की जड़ों में खाद देते हैं और अपने श्रम से | सींचकर उन्हें शक्ति में परिवर्तित करते हैं। राष्ट्र के वास्तविक निर्माता उस देश के शिक्षक होते हैं।”

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जी हाँ! शिक्षक न केवल विद्यार्थी के व्यक्तित्व के निर्माता है बल्कि राष्ट्र का भी निर्माता भी होता है। शिक्षक का पद समाज में एक प्रतिष्ठित पद माना जाता है। आदर्श शिक्षक का कार्य बहुत ही महत्वपूर्ण है। एक बात और कि जिस प्रकार शिक्षा एक अंतहीन प्रक्रिया है Education is an Endless Process उसी प्रकार शिक्षण भी अंतहीन प्रक्रिया है। वर्तमान युग में आधुनिकता, वैज्ञानिकता, व्यस्तता , अस्थिरत व जल्दबाजी का दौर चल रहा हैं।। आज का विद्यार्थी जीवन भी इन्ही समस्याओं से ग्रसित है। आज का विद्यार्थी जीवन पहले की तरह सहज, शांत और धैर्यवान नहीं ही रह गया है। क्योंकि आगे बढ़ना और तेजी से बढ़ना उसकी नियति और मजबूरी बन गई है।

चूंकि ऐसे समय में विद्यार्थी जीवन को एक सही, उचित, कल्याणकारी एवं दूरदर्शी दिशा निर्देश देना एक शिक्षक का पावन कर्तव्य है। एक अच्छा शिक्षक एक विद्यार्थी का सबसे अच्छा दोस्त, सबसे अच्छा सलाहकार, पिता तुल्य और सबसे अच्छा आदर्श होता है। कबीरदास जी ने तो गुरू को ईश्वर से बड़ा बताकर कहा है कि यदि गुरू और ईश्वर दोनों खड़े हों तो मैं पहले ईश्वर के नहीं,गुरू के चरणों का ही स्पर्श करूँगा, क्योंकि गुरू ने ही मुझे ईश्वर की पहचान कराई है।

किंतु अफ़सोस! आधुनिक युग में विद्यार्थी और समाज भी गुरू को इतना आदर नहीं देते हैं। वे भूल जाते हैं कि गुरू के बिना उनके बच्चों को शिक्षा कौन देगा ? फिर क्या सभी शिक्षक एक जैसे होते हैं। आज भी तो ऐसे आदर्श अध्यापक हैं,जो अपने विद्यार्थियों से बहुत प्यार करते हैं और उन्हें जीवन का सत्य समझाते हैं, उन्हें आदर्श मार्ग पर चलने, प्रगति करने तथा अधिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रेरित करते हैं।

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