Thoughts of writer: यह तड़प नहीं, विडंबना है, जो हर कोई ढोंग कर ही लेता है इस तमाशा में…

चक्रव्यूह रक्तोच्चार अँधेरे की लपटों छाया में घिराउजालों का आतम था न बिखराकिस – किस रन्ध्रों में ढूढ़ते थे कभी ?क्या , कभी , किसी को न मिला कभी ?बढ़ … Read More

Daughter’s day: हर रिश्तों में खास होती हैं बेटियाँ

बेटी दिवस(Daughter’s day) Daughter’s day: हर रिश्तों में खास होती हैं बेटियाँ,माँ बाप के दिल के पास होती हैं बेटियाँ.दो परिवारों को जो एक कर दें,ऐसी मजबूत कड़ी होती हैं … Read More

Balika vadhu: ये कैसा समाज; जो एक छोटी बिटिया को ही बालिका वधू बना देता है: आशीष बादल

बालिका वधू (Balika vadhu) जिसके हाथ में खेलने के लिए गुड़िया होनी चाहिए,उस मासूम को गुड़िया बना के बैठा देता है..ये कैसा निर्लज्ज समाज है आज कल का,जो एक छोटी … Read More

Answer if possible: हो सके तो जवाब दे जाना: रेणु तिवारी “इति”

हो सके तो जवाब दे जाना(Answer if possible) सुना है हिसाब के बड़े पक्के होकिसी का बकाया नहीं रखते?तो फिर लौटा जाना मेरे ख़्वाबलौटा जाना इंतजार की वो घड़ियांलौटा जाना … Read More

Ye dil mera: ये सुनहरा दिल मेरा, आखिर पत्थर बन ही गया

ये सुनहरा दिल मेरा (Ye dil mera)आखिर पत्थर बन ही गयाबात बात पर जो भावों से बहता थाआज बर्फ की सख़्त चादर बन ही गयाजिसकी जैसी जरूरत वैसा बहलाया उसनेना … Read More

“तेरी नज़र का गणित !”(math of your eyes)

“तेरी नज़र का गणित !” हमें एक ही बार में वो हाल बता गई।वो अपने आखों से फिर से आँख मार गई।।मोहब्बत का दरिया हद से पार हो जाएगा।नशीली आखों … Read More

Sunlight: आओ आज मुट्ठी में कैद कर लू ये धूप: रेणु तिवारी “इति”

“धूप”(Sunlight) आओ आज मुट्ठी में कैद कर लू ये धूपमन की सीलन से भरी दीवारों पे,फेक दू ये धूपठंडी निराश सी उम्मीदों पर,हौसले से भरी हथेली सी सेक दू ये … Read More

ye dil hai janab: ये दिल है जनाब ये कभी नही हारता: रेणु तिवारी “इति”

दिल कभी नहीं हारताएक बार टूटने के बाद भी फिरकोई उम्मीद जगा ही लेता हैबंद हो सारे दरवाज़े फिर भीएक रोशनदान बना ही लेता हैकल मिली हो करारी शिकस्तपर आज … Read More

Nothing is worthless: बेवजह कुछ भी नहीं है: रेणु तिवारी “इति”

बेवजह कुछ भी नहीं है…(Nothing is worthless) मिलना, बिछड़ना, साथ होकर, फिर तन्हा होनाबीती रात अश्कों में गुजार, सुबह चेहरे पर हसी होनागहरी नींद से जाग, जैसे अभी अपने आज … Read More

Safar e jindagi: सफर ए जिन्दगी ऐसा क्यों है: रेणु तिवारी “इति”

सफर( Safar e jindagi) Safar e jindagi: सफर ए जिन्दगी ऐसा क्यों है?भीड़ में भी हर शख्स तन्हा क्यों है?काफिले बदलते रहते है खुशियों की तलाश में,पर वो सुकुन के … Read More