Sunlight: आओ आज मुट्ठी में कैद कर लू ये धूप: रेणु तिवारी “इति”
“धूप”(Sunlight)
आओ आज मुट्ठी में कैद कर लू ये धूप
मन की सीलन से भरी दीवारों पे,फेक दू ये धूप
ठंडी निराश सी उम्मीदों पर,हौसले से भरी हथेली सी सेक दू ये धूप
बेमतलब सी उलझनों की फफूंदी पर सटीक विचारों सी फैला दू ये धूप
दिल की नमी को,आसुओं की चुभन को,हसी की गरमाहट सी दे दू ये धूप
गमों की बारिश से गीली मेरे आंगन की मिट्टी को खुशियों से सुखा दू ये धूप
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