Riverfront footover bridge

Ahmedabad river front foot over bridge: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अहमदाबाद में रिवरफ्रंट फुटओवर ब्रिज का करेंगे लोकार्पण, पढ़ें…

  • अहमदाबाद के आकर्षण के केन्द्र साबरमती रिवरफ़्रंट को एक दशक पूर्ण
  • फुटओवर ब्रिज बनने से रिवरफ्रंट के पूर्व-पश्चिम केंद्र जुड़ जाएँगे

Ahmedabad river front foot over bridge: साबरमती रिवरफ्रंट के पूर्वी एवं पश्चिमी छोर को जोड़ने वाले इस 300 मीटर लंबे फुटओवर ब्रिज का उद्घाटन पीएम मोदी कल करेंगे

गांधीनगर, 26 अगस्त: Ahmedabad river front foot over bridge: हमने गत सप्ताह ही अर्थात् 15 अगस्त को स्वतंत्रता प्राप्ति के 75 वर्ष पूर्ण होने का उत्सव मनाया और उसी दिन अहमदाबाद के आइकॉनिक साबरमती रिवरफ़्रंट ने भी एक दशक पूर्ण किया। साबरमती रिवरफ़्रंट पर आगंतुकों की सुविधाओं के लिए अब विवेकानंद पुल (एलिसब्रिज) तथा सरदार पुल के बीच फुटओवर ब्रिज का निर्माण किया गया है।

साबरमती रिवरफ्रंट के पूर्वी एवं पश्चिमी छोर को जोड़ने वाले इस 300 मीटर लंबे फुटओवर ब्रिज का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के करकमलों से 27 अगस्त शनिवार को किया जाएगा। यह फुटओवर ब्रिज मल्टी-लेवल कार पार्किंग तथा पश्चिम तट स्थित फ्लॉवर पार्क एवं इवेंट ग्राउंड के बीच स्थित प्लाजा से पूर्व तट पर प्रस्तावित कला एवं सांस्कृतिक प्रदर्शनी केंद्र तक संपर्क (कनेक्टिविटी) की सुविधा प्रदान करेगा। यह ब्रिज टेक्नोलॉजी व डिजाइन; दोनों प्रकार से अनन्य है, जो इंजीनियरिंग दृष्टि से अजूबा बनेगा।

साबरमती के साथ अहमदाबाद का संबंध

अहमदाबाद शहर के मध्य से गुजरने वाली साबरमती नदी के साथ शहर का हमेशा एक सुदृढ़ संबंध रहा है। 20वीं शताब्दी के मध्य में जब यह शहर भारत के टेक्सटाइल हब के रूप में उभर रहा था, तब इस नदी के आसपास विख्यात संस्थानों तथा उद्योगों का निर्माण किया गया था। वर्ष 1915 के आसपास महात्मा गांधी ने भी इस नदी के पश्चिमी तट पर अपना (साबरमती) आश्रम बनाया था।

कई वर्षों तक साबरमती नदी अहमदाबाद शहर के लिए एकमात्र जल स्रोत थी, परंतु तेज औद्योगिकीकरण एवं बढ़ती जनसंख्या के कारण वर्ष 1950 के बाद साबरमती के पर्यावरणीय स्वास्थ्य में कमी आने लगी। इस विकट स्थिति को देखते हुए बर्नार्ड कोहन ने सबसे पहले साबरमती प्रोजेक्ट का प्रस्ताव किया था।

Riverfront

कोहन वर्ष 1960 के आसपास इस शहर में रहते थे। बाद के वर्षों में कई समितियों का गठन किया गया, परंतु उनके प्रयासों में कहीं कोई कमी रह जाती थी। यद्यपि नरेंद्र मोदी वर्ष 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री बने और उन्होंने डॉ. बिमल पटेल में विश्वास व्यक्त किया, जो एक विख्यात आर्किटेक्ट हैं तथा जिन्होंने वर्षों से मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट को आकार दिया है।

योजना व क्रियान्वयन

अहमदाबाद महानगर पालिका (AMC) ने साबरमती नदी के तटों के विकास के लिए साबरमती रिवरफ्रंट डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड का गठन किया। हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन तथा एक राष्ट्रीय स्तर की बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर फंडिंग एजेंसी ने इस प्रोजेक्ट के लिए ऋण उपलब्ध कराया, परंतु सबसे निर्णायक परिबल नरेंद्र मोदी तथा SRFDCL बोर्ड की इच्छाशक्ति थे; जिनमें ब्यूरोक्रेसी के विभिन्न सदस्य, AMC के राजनीतिक प्रतिनिधियों, व्यावसायिक व तकनीकी विशेषज्ञ थे।

आरंभ में एसआरएफडीसीएल बोर्ड ने संभाव्यता परीक्षण किया और उचित परिबलों को ध्यान में रखते हुए संभाव्यता योजना की कल्पना की; जैसे कि रिवरफ़्रंट को लोगों के लिए सुलभ बनाना, गटर की धारा को नियंत्रित करना, नदी को प्रदूषण मुक्त रखना, रिवरफ़्रंट पार्क व सैरगाह का निर्माण, शहर के पूर्वी-पश्चिमी छोरों के बीच सम्पर्क में सुधार करना और आसपास की बस्तियों का कायाकल्प करना।

पायलट प्रोजेक्ट वर्ष 2004 में आरंभ किया गया और इसके बाद किसी भी प्रकार का प्रतिकूल प्रभाव न पड़ने देना सुनिश्चित करने के लिए पुनर्वास के अधिकांश कार्यक्रम लागू किए गए। भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया के कारण भी प्रोजेक्ट में थोड़ा विलंब हुआ, परंतु आज साबरमती रिवरफ्रंट अहमदाबाद की पहचान बन गया है।

वर्षों के रणनीतिक आयोजन, सर्वसंमति बनाने के प्रयासों एवं उल्लेखनीय ढाँचागत सुधारों के बाद शहर का पुनरुत्थान किया गया। ट्रीटमेंट प्लांटसे गटर का ट्रीटेड पानी मोड़ने के लिए अधिक टिकाऊ विकल्प उपलब्ध कराए गए। वर्ष 2012 में वॉक-वे तथा वॉटर राइड का उद्घाटन करते समय तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह प्रोजेक्ट भारत के लोगों को समर्पित किया।

सांस्कृतिक विरासत स्थल

कुछ समय में ही साबरमती रिवरफ्रंट लोगों के लिए महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। नदी के आसपास अहमदाबाद की पहचान को पुन: स्थापित करने तथा साबरमती नदी के तट पर शहर से सम्बद्ध वॉटरफ्रंट वातावरण देने का प्रयास करने वाले प्रोजेक्ट को बड़ी सफलता मिली है। साबरमती रिवरफ्रंट टिकाऊ विकास के प्रतिनिधि के रूप में तथा साथ ही स्थानीय लोगों को प्रकृति के निकट ले जाने के लिए भी सहायक बनता है। फिटनेस प्रेमी प्राय: यहाँ सुबह जॉगिंग तथा वॉकिंग के लिए आते हैं तो अनेक प्रसंग एवं त्योहार भी यहाँ मनाए जाते हैं।

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अल्पकाल में ही साबरमती रिवरफ़्रंट ने अहमदाबादियों के मन में सांस्कृतिक महत्व प्राप्त किया है। अहमदाबाद को साबरमती नदी के तट पर वॉटरफ़्रंट वातावरण प्रदान करने एवं नदी के आसपास अहमदाबाद की पहचान को पुनर्व्याख्यायित करने के उद्देश्य वाले इस प्रोजेक्ट को बड़े पैमाने पर सफलता मिली है। यह स्थान केवल टिकाऊ विकास का प्रतीक ही नहीं, बल्कि लोगों को प्रकृति के निकट भी लाता है।

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