Lahar: सुख – दुःख की क्या खींचती व्यथाएँ ? बढ़ – बढ़ लौटती आँगन की जैसी छाया !
शीर्षक :- लहर (Lahar) Lahar: रात गुजर रही मेरे साथचहुँओर दिखा राख – सी चित्रमानो दे रहा कोई संदेशप्रत्याशा है जैसे झींगुर राग घट के दिशा – दिशा तिरती पवनेंमन्द … Read More