Varun Singh Gautam: फूल बरसे या चन्द्रहास, कौन कहें फिर कोमल या तेज धार…..
!! बहुरि अकेला भव में !! नव्य शैशव हुए कितने वीरानप्लव – प्लव – प्लावित मायाअब इस पुलिन की क्या कसूर ?जग – जग हुँकार अब भी त्राण कौन सुने … Read More
!! बहुरि अकेला भव में !! नव्य शैशव हुए कितने वीरानप्लव – प्लव – प्लावित मायाअब इस पुलिन की क्या कसूर ?जग – जग हुँकार अब भी त्राण कौन सुने … Read More