Working group disaster risk reduction meeting: पहली वर्किंग ग्रुप डिजास्टर रिस्क रिडक्शन मीटिंग का आयोजन करने के लिए तैयार गुजरात
Working group disaster risk reduction meeting: गुजरात की राजधानी गांधीनगर में 30 मार्च से 1 अप्रैल तक यह कार्यक्रम आयोजित होगा
गांधीनगर, 24 मार्च: Working group disaster risk reduction meeting: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, भारत के लिए G-20 की अध्यक्षता करना एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण घटना है। क्योंकि यह अध्यक्षता ऐसे समय में भारत को मिली है, जब पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। गुजरात को विभिन्न क्षेत्रों जैसे पर्यावरण व जलवायु, आपदा प्रबंधन एवं ऊर्जा संरक्षण पर कार्यक्रम आयोजित करने सम्मान प्राप्त हुआ है, जो G-20 समिट के समेकित लक्ष्यों व एजेंडा के साथ सुसंगत है।
30 मार्च से 1 अप्रैल के दौरान ग्रीन सिटी गांधीनगर में पहली वर्किंग ग्रुप डिज़ास्टर रिस्क रिडक्शन मीटिंग का आयोजन करने के लिए गुजरात पूरी तरह से तैयार है। इस कार्यक्रम में अर्जेंटिना, ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, कनाडा, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मॉरिशस, ओमान, रूस, सऊदी अरब, सिंगापुर, दक्षिण अफ़्रीका, UAE, UK, USA देशों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। इस कार्यक्रम के दौरान केन्द्रीय संचार राज्य मंत्री देवूसिंह चौहान भी उपस्थित रहेंगे।
कोलिशन फ़ॉर डिजास्टर रेलीज़ियेंट इन्फ़्रास्ट्रक्चर, यूनाइटेड नेशन्स इकोनॉमिक एंड सोशल कमिशन फॉर एशिया पैसेफिक, इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन, यूनाइटेड नेशन्स ऑफिस फ़ॉर डिजास्टर रिस्क रिडक्शन, यूनाइटेड नेशन्स डेवलपमेंट प्रोग्राम, यूनाइटेड नेशन्स ऑफ़िस फ़ॉर प्रोजेक्ट सर्विसेज, वर्ल्ड बैंक आदि जैसे अंतरराष्ट्रीय संस्थानों का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतिनिधि भी गांधीनगर में आयोजित पहली वर्किंग ग्रुप डिज़ास्टर रिस्क रिडक्शन मीटिंग में भाग लेंगे।
इस कार्यक्रम का शुभारंभ 29 मार्च को गुजरात इंस्टीट्यूट ऑफ़ डिज़ास्टर मैनेजमेंट में ‘रिमेम्बरिंग डिज़ास्टर: भविष्य की अनिश्चितताओं का सामना करने के लिए अतीत के भूकंप की घटनाओं से सीखें’ थीम पर कर्टेन रेजर सेरेमनी के साथ होगा। इसके बाद GIDM में आमंत्रित अतिथियों के लिए डिनर आयोजित किया जाएगा।
पहले दिन यानी 30 मार्च को उद्घाटन सत्र आयोजित होगा। इसके बाद प्लेनरी सेशन आयोजित होगा, जिसमें डिज़ास्टर रिस्क रिडक्शन के महासचिव के लिए ट्रोइका G20, 2023 और संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिनिधि अपनी बात रखेंगे।
तकनीकी सत्र ‘अर्ली वॉर्निंग सिस्टम फ़ॉर ऑल’ थीम पर रहेगा जिसमें एकीकृत प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली की स्थापना और इसके विस्तार के साथ-साथ पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति तक सुविधाओं को पहुंचाने की व्यवस्था को मजबूत करने की प्रतिबद्धता के विषय में चर्चा की जाएगी ताकि अर्ली वॉर्निंग यानी प्रारंभिक चेतावनियाँ सभी के लिए सुलभ हो सकें।
संध्या काल में आमंत्रित प्रतिनिधि सांस्कृतिक कार्यक्रम का आनंद उठाएंगे और इसके बाद प्रतिष्ठित महात्मा मंदिर कन्वेंशन एवं एग्ज़ीबिशन सेंटर में परम्परागत बैठक व्यवस्था के साथ रात्रि भोजन पर संवाद का लुत्फ़ उठाएंगे। सांस्कृतिक कार्यक्रम में नृत्य तथा वाद्य संगीत में विविधतापूर्ण प्रदर्शनी के साथ भारत की समृद्ध विरासत को दर्शाया जाएगा।
बैठक के दूसरे दिन यानी 31 मार्च की शुरुआत योग के साथ की जाएगी। इसके बाद भारतीय शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुति एवं उसके बाद पुनित वन में ईको-टूर किया जाएगा। G20 के प्रतिनिधियों के लिए ‘डिज़ास्टर रेलीज़ियेंट इन्फ़्रास्ट्रक्चर फ़ॉर रिड्यूसिंग रिन्युअल एवरेज लॉसेज़’, ‘रेगुलेटरी फ़्रेमवर्क फ़ॉर डिज़ास्टर रिस्क फ़ाइनेंसिंग’; ‘बिल्डिंग ए कॉन्टिनम फ़्रॉम डिज़ास्टर रिस्पॉन्स टु रिकवरी एण्ड रिकन्स्ट्रक्शन’ जैसे थीमेटिक एरियाज़ पर विभिन्न तकनीकी सत्र आयोजित होंगे।
मुख्य प्रेज़ेंटेशन्स भी इन विषयों पर ध्यान केन्द्रित करेंगे, जो प्रतिनिधमंडल को चर्चा करने का अवसर देंगे। अंतिम दिन, यानी 1 अप्रैल को ‘इकोससिट्म बेस्ड एप्रोचेस फ़ॉर इंटीग्रेटेड डिज़ास्टर रिस्क रिडक्शन और क्लाइमेट चेंज अडेप्टेशन्स’ थीम पर तकनीकी सेशन आयोजित होगा जिसमें विचार-विमर्श के साथ-साथ बेहतर समाधानों पर भी चर्चा की जाएगी।
इस सेशन में सतत स्थानीय हस्तक्षेप पर चर्चा की जाएगी जिसके अंतर्गत आपदा जोखिम न्यूनीकरण (DRR), आजीविका, ऊर्जा और परिवर्तन अनुकूलन, प्रकृति-आधारित समाधान के कार्यान्वयन के लिए एक राष्ट्रीय ढांचे का विकास, और संसाधनों तक पहुंच में वृद्धि जैसे विषय आते हैं।
वर्किंग ग्रुप डिज़ास्टर रिस्क मैनेजमेंट मीटिंग निम्न स्थलों पर फ़ील्ड विज़िट के साथ समाप्त होगी
- दांडी कुटीर का मार्गदर्शित प्रवास: जो महात्मा गांधी के जीवन व उपदेशों पर बना भारत का सबसे बड़ा म्यूज़ियम है।
- अडालज की वाव, जो 15वीं शताब्दी की एक प्रतिष्ठित बावड़ी है।
- भुज (कच्छ) स्थित स्मृति वन भूकंप स्मारक, जो 2001 के कच्छ भूकंप पीड़ितों को समर्पित भारत का सबसे बड़ा भूकंप स्मारक व संग्रहालय है।
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