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Vasant college for women: वसंत महिला महाविद्यालय में शोध प्रविधि के विविध आयाम पर सप्त दिवसीय राष्ट्रीय व्याख्यान का समापन

Vasant college for women: आज का समाज ज्ञान का है समाज, जिसके पास ज्ञान तंत्र वह है सबसे धनी

रिपोर्टः डॉ राम शंकर सिंह

वाराणसी, 13 सितंबरः Vasant college for women: वसंत महिला महाविद्यालय (Vasant college for women), राजघाट फोर्ट, वाराणसी द्वारा आयोजित “शोध प्रविधि के विविध आयाम” विषयक सप्तदिवसीय राष्ट्रीय ई-व्याख्यान श्रृंखला के समापन सत्र के मुख्य वक्ता डॉ. अखिलेश कुमार दुबे, (अकादमिक निदेशक, क्षेत्रीय केंद्र, प्रयागराज, महात्मा गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय) ने शोध एवं प्रकाशन का नीति शास्त्र विषय पर वक्तव्य देते हए बताया कि शोध का सम्बंध हमारे जीवन से बहुत गहरा है। हमारी सभ्यता का निर्माण एक दिन में नहीं हुआ अपितु उसमें कई पीढ़ियों का योगदान है।

हमारे अनेक आचार्यों, अन्वेषकों ने कठिन परिश्रम करके ज्ञान अर्जित किया और यही ज्ञान सभ्यता समाज को उन्नत करती है। 21वीं शताब्दी में होते हुए भी यह दावा नहीं किया जा सकता कि ज्ञान सृजन में हम बहुत आगे हैं। आज का समाज ज्ञान का समाज है और जिसके पास ज्ञान तंत्र है वह सबसे धनी है। हमें वैश्विक स्पर्द्धा में आने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि शोध नीतिशास्त्र का विषय है जो दर्शनशास्त्र की शाखा है। जिसमें मनुष्य के आचरण का अध्ययन होता है।

Vasant college for women: आपने आगे कहा कि शोध को जीवित रखने के लिए नैतिकता को जीवित रखना आवश्यक है। जब तक नैतिक बोध विकसित नहीं होगा तब तक बढ़िया काम संभव नहीं। विश्व के कल्याण हेतु शोध में नवाचार, शुद्धता, परिसंगतता, तर्कसंगतता होनी चाहिए। यदि शोधार्थी उपाधि के लिए कार्य कर रहा है तो उसे यश कभी नहीं प्राप्त होगा। शोधार्थी में नैतिक बोध, नैतिक जिम्मेदारी का होना अति आवश्यक है।

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Vasant college for women: हिन्दी विभाग, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के प्रो. शंभुनाथ तिवारी ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि भूमिका और उपसंहार शोध के महत्त्वपूर्ण अंग हैं। शोध में छोटे-छोटे टूल्स होते हैं जिन्हें हम नजरअंदाज नहीं कर सकते क्योंकि यह टूल्स बहुत उपयोगी होते हैं। जैसे ‘भूमिका’ किसी भी शोध प्रबंध की आधारशिला होती है। उन्होंने कहा कि नामवर सिंह और विजेंद्र स्नातक जी के शोध कार्य एक प्रामाणिक शोध माना जाते हैं क्योंकि उनमें भाषायी कुशलता है। वर्तमान में भाषायी अकुशलता बहुत बढ़ गई है जो कि शोध के लिए अच्छा नहीं। साहित्यिक शोध में संभावनाएं सदैव बनी रहती है।

महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. अलका सिंह ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि इस संगोष्ठी से हमारे विद्यार्थियों को एक नई दिशा मिली है। उन्हें अपने शोध में गुणवत्ता सुनिश्चित करनी चाहिए। कार्यक्रम संयोजक, शोध समिति की समन्वयक एवं हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. शशिकला त्रिपाठी ने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि यह आयोजन अघोषित रूप से हिंदी सप्ताह का भी आयोजन था। हिंदी दिवस को वार्षिक कर्मकांड की भाँति न मनाकर मैंने सामाजिक विज्ञान के अनेकानेक अनुशासन तथा विज्ञान और तकनीक जैसे विषयों पर भी विद्वान वक्ताओं से हिंदी में बोलने का अनुरोध किया और उन सबने ऐसा ही किया।

Vasant college for women: कोच्ची से जुडें मैनेजमेंट के प्रोफेसर का भी हिंदी में उद्बोधन हुआ। प्रारंभ, डॉ. विलम्बिता वाणीसुधा के कुलगीत गायन से हुआ। प्रतिवेदन वाचन डॉ. मीनू अवस्थी ने किया और कुशल संचालन समाजशास्त्र की डॉ. विभा सिंह ने। इस अवसर पर महाविद्यालय के अधिसंख्य शिक्षकगण,शोध समिति के सभी सदस्य, विभागाध्यक्ष, विभिन्न राज्यों के शोधार्थी एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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