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Second day of varanasi national workshop: वसंता कॉलेज में मानवीय मूल्यों पर चल रहे राष्ट्रीय कार्यशाला का द्वितीय दिवस

  • उपनिषदों के परिप्रेक्ष्य में मानव मूल्यों पर विद्वान वक्ता स्वामी चिदानंद का ज्ञानवर्धक व्याख्यान

Second day of varanasi national workshop: वी.सी.डब्लू. वाराणसी और श्री सत्य साईं विश्वविद्यालय कर्नाटक के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हो रही कार्यशाला

रिपोर्टः डॉ राम शंकर सिंह

वाराणसी, 27 अप्रैलः Second day of varanasi national workshop: वसंता कॉलेज में चल रहे राष्ट्रीय कार्यशाला के द्वितीय दिन विद्वान वक्ता स्वामी चिदानंद ने मानव मूल्यः उपनिषदों के परिप्रेक्ष्य में ज्ञानवर्धक व्याख्यान दिया। यह कार्यशाला, इन्टर्नल क्वालिटी एश्योरेंस सेल (IQAC), वसंत महिला महाविद्यालय, केएफआई, राजघाट, वाराणसी और मानवीय श्रेष्ठता के लिए श्री सत्य साईं विश्वविद्यालय, नवनिहाल, कमलापुर तालुक कालाबुरगी, कर्नाटक के परस्पर सहयोग से चल रहा हैं।

प्रारंभ में महाविद्यालय कि प्राचार्या प्रोफेसर अलका सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया। पांच दिवसीय कार्यशाला का यूट्यूब के माध्यम से सीधा प्रसारण भी हुआ। कार्यक्रम का संचालन डॉ.राजीव जायसवाल, असिस्टेंट प्रोफेसर, प्राचीन भारतीय इतिहास एवं संस्कृति (AIHC) एवं पुरातत्व विभाग, वसंत महिला महाविद्यालय ने किया। आशना कुमारी, बी.एड., शिक्षा विभाग, वसंत महिला महाविद्यालय ने प्रथम दिवस की कार्यशाला के सार एवं प्रासंगिकता को संक्षेप में बताया।

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मुख्य अतिथि स्वामी चिदानंद फोवाइ फोरम (FOWAI FORUM) के संस्थापक और मुख्य स्त्रोत व्यक्ति हैं। स्वामी जी ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि, ”मांडक्यू उपनिषद के अनुसार, मानव मूल्यों से हम भयग्रस्त से विश्वासी, अप्रभावी से प्रभावी, स्वार्थी से परमार्थी और दुःखी से सुखी बनते हैं”, ”ईशावास्य उपनिषद के अनुसार, ‘मैं और मेरा’ का विचार ‘हम और हमारे’ के भाव में बाधक है”, ”कठोपनिषद के अनुसार, अच्छा मार्ग बहुत कम लोगों द्वारा चला गया है”, आदि।

Second day of varanasi national workshop: साथ हीं, ”उपनिषदों के ज्ञान और व्यवहार में उनके प्रयोग से हीं मानव जीवन को अर्थपूर्ण और आनंदपूर्ण बनाया जा सकता है, यही कारण है कि, उपनिषद मोक्ष शास्त्र भी कहा जाता हैं।”

Second day of varanasi national workshop: महाविद्यालय की छात्रा दिव्या एवं अनद्या और वैदिक विभाग, श्री सत्य साईं विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने इन दो दिनों की कार्यशाला पर अपने विचार साझा किए। कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों ने भी अपनी सीख और अनुभव साझा किए। अंत में औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम संचालक डॉ.राजीव जायसवाल ने दिया।

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