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Ram Mandir Trust: ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य ने राम मंदिर ट्रस्ट पर उठाया सवाल

Ram Mandir Trust: राम मंदिर रामानंद संप्रदाय का तो उन्हें सौंपें, चंपतराय को इस्तीफा देना चाहिए….ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती

  • हम प्रधानमंत्री मोदी के विरोधी नहीं बल्कि उनके हितैषी हैं

रिपोर्ट: डॉ राम शंकर सिंह

वाराणसी, 09 जनवरीः Ram Mandir Trust: उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती महाराज ने कहा है कि, यदि राम मंदिर रामानंद संप्रदाय का है तो मंदिर संप्रदाय को सौंप देना चाहिए। इसमें पूरे संत समाज को कोई आपत्ति नहीं होगी। कहा कि चंपत राय सहित सभी पदाधिकारियों को इस्तीफा देना चाहिए। केदार घाट स्थित श्री विद्या मठ की ओर से जारी विज्ञप्ति मे शंकराचार्य ने कहा कि, वे प्रधानमंत्री मोदी के विरोधी नहीं है, बल्कि उनके हितेषी हैं। उन्हें सलाह दे रहे हैं कि वे शास्त सम्मत कार्य करें। विरोधी तो वे हैं जो उनसे अशास्त्रीय कार्य करवाकर उनके अहित का मार्ग खोल रहे हैं।

ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती महाराज ने स्पष्ट करते हुए कहा कि, शंकराचार्यों का अपना कोई भी मंदिर नहीं होता है। वे केवल धर्म व्यवस्था देते हैं। चंपतराय को जानना चाहिये कि शंकराचार्य और रामानंद सम्प्रदाय के धर्मशास्त्र अलग अलग नहीं होते। उन्होंने सवाल किया कि वे बतायें कि क्या रामानंद संप्रदाय अधूरे मंदिर में प्रतिष्ठा को शास्त्र सम्मत मानता है?

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद: ने चंपत राय के बयान पर कहा कि पहले उपेक्षा और अब प्रेम उमड़ रहा है। रामानंद संप्रदाय के प्रति उनकी आस्था को इस बात से समझा जा सकता है कि रामानन्द संप्रदाय निर्मोही अखाडे के एक सदस्य को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर रखा गया और दूसरे सदस्य को नाम मात्र का अध्यक्ष बनाकर बैठक के पहले दिन ही अभिलेखों में उनके हस्ताक्षर करने के अधिकार को भी छीन लिया गया था यह सर्वविदित तथ्य है।

ज्ञातव्य है कि यह बयान ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती ने राम मंदिर ट्रस्ट के सचिव चंपतरात के उस बयान के बाद दिए हैं जिसमें उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि ‘राम मंदिर रामानंद संप्रदाय से जुड़े लोगों का है, शंकराचार्य शैव और शाक्त का नहीं. इस पर अपनी बात रखते हुए शंकराचार्य ने कहा यदि राम मंदिर रामानंद संप्रदाय से जुड़े लोगों का है तो इस मंदिर को प्रतिष्ठा से पूर्व रामानंद संप्रदाय से जुड़े लोगों को दे दिया जाना चाहिए।

इस पर किसी को कोई आपत्ति नहीं होगी। इसके अलावा उन्होंने कहा कि चंपतराय के अलावा सभी पदाधिकारियों को इस्तीफा भी देना चाहिए। उन्होंने कहा कि आधे अधूरे मंदिर में भगवान को स्थापित किया जाना न्यायोचित और धर्म संम्मत नहीं है। शंकराचार्य ने कहा कि निर्मोही अखाड़े को पूजा का अधिकार दिए जाने के साथ ही रामानंद संप्रदाय को मंदिर व्यवस्था की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए।

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