Rajasthan Politics

Rajasthan Politics: वर्तमान नगर पालिका बोर्ड के सदस्यों सहित पालिका अध्यक्ष को भी भाव नहीं दे रहे अधिकारी

Rajasthan Politics: वार्डों में से आने वाली माउंट आबू की जनता व्यर्थ के चक्कर लगाकर हो रही परेशान हताश बेचैन और तंग

रिपोर्टः किशन वासवानी

माउंट आबू, 17 सितंबरः Rajasthan Politics: यूं तो पूरे राज्य में कांग्रेस के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार ने आमजन को राहत देने के लिए प्रशासन शहरों के संग का आयोजन आगामी 2 अक्टूबर से किया जाना प्रस्तावित है। इसी क्रम में प्री प्रशासन शहरों के संग शिविर का आयोजन भी किया जा रहा हैं।

Rajasthan Politics: लेकिन दिलचस्प बात यह है कि प्रशासन शहरों के संग शिविर में आम जनता ही सबसे ज्यादा हो रही है तंग। दरअसल शुरूआत से ही विवादों में रहे प्री-प्रशासन शहरों के संग अभियान में आमजन को कोई भी उचित मार्गदर्शन मिलता हुआ दिखाई नहीं दे रहा हैं। न हीं उन्हें कोई जवाब देने वाले अधिकारी इस शिविर में मौजूद रहते हैं या औपचारिकता के रूप में शिविर में आकर व उच्चाधिकारियों के कहने पर इधर-उधर निकल जाते हैं।

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Rajasthan Politics: दरअसल शुक्रवार को भी कुछ इसी तरह का घटनाक्रम प्री-प्रशासन शहरों के संग अभियान में देखने को मिला जहां पर भाजपा सहित अन्य लोगों ने अपना आक्रोश तीव्र स्वरों में प्रकट करते हुए नगरपालिका के आयुक्त सहित अधिकारियों को जमकर खरी-खोटी सुनाई।

यह कहना गलत नहीं होगा कि इस तरह के प्री-प्रशासन शहरों के संग शिविरों में आमजन को कोई भी सहयोग नहीं मिलने से समाधाम कम एवं हुड़दंग ज्यादा नजर आ रहा हैं और लोग व्यर्थ में ही पालिका के चक्कर काट-काट कर तंग होते हुए नजर आ रहे हैं।

दृश्यों में जब नजर आ रहा है कि पालिका अध्यक्ष जीतू राणा जब पालिका आयुक्त से कुछ पूछना चाहते हैं तो वह अपनी सीट से खड़े भी नहीं होते और बैठे-बैठे ही वह बोलते हैं। यानी कि नगरपालिका में सबसे बड़े पद व अहम ओहदे का मान सम्मान पालिका अधिकारियो की नजर में नगण्य है, गौण है। अब सबसे बड़े जनता के चुने हुए नगरपालिका अध्यक्ष के साथ ही यह व्यवहार इन अधिकारियों का है तो फिर आमजन के सामने आम व्यक्ति की बिसात ही क्या, औकात ही क्या?

पहले मैं यहां 3 घंटे बैठकर गया हूं जबकि पालिका अध्यक्ष में कह रहे हैं कि आप अंदर बैठे थे और वह बोलते में 3 घंटे बैठा हूं उसके बावजूद वह बोलते हैं कि मुझे उच्चाधिकारियों का फोन आया मैं उनके कहने पर गया बात इधर उधर की हो गई। फिर वह एसडीएम साहब से पालिकाध्यक्ष में बात करते हैं इसमें निकल कर यह आ रहा है कि यहां सिर्फ औपचारिकता निभाई जा रही है और जनता को अपने हाल पर छोड़ बेचैन वे हताश किया जा रहा है। फिलहाल तो फ्री प्रशासन शहरों के संग में जनता के साथ यह होने वाली बानगी भर के आगे आगे देखिए और भी होता है क्या?

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