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PM Modi: शिखर सम्मेलन में बोले पीएम मोदी- अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम ने चुनौतियां बढ़ा दीं

PM Modi: एससीओ की 20वीं वर्षगांठ इस संगठन के भविष्य के बारे में भी सोचने का अवसर हैं: पीएम मोदी

नई दिल्ली, 17 सितंबरः PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शंघाई सहयोग संगठन की शिखर बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़े। इस दौरान पीएम ने संबोधन करते हुए ताजिकिस्तान के लोगों को आजादी के तीसवें पर्व की बधाई दी। उन्होंने कहा कि इस साल हम एससीओ की भी 20वीं वर्षगांठ मना रहे हैं।

नए साझेदारों के जुड़ने से एससीओ और भी विश्वसनीय बनेगा। पीएम ने इस मौके पर तीनों नए डायलॉग पार्टनर्स- सऊदी अरब, मिस्र और कतर का स्वागत किया। पीएम ने कहा कि एससीओ की 20वीं वर्षगांठ इस संगठन के भविष्य के बारे में भी सोचने का अवसर हैं। इन समस्याओं का बढ़ता हुआ कारण कट्टरपंथ हैं।

उन्होंने (PM Modi) कहा कि अफगानिस्तान में हालिया घटनाओं ने इस चुनौती को और स्पष्ट कर दिया हैं। इस मुद्दे पर एससीओ को पहल लेकर काम करना चाहिए। अगर हम इतिहास पर नजर डालें तो मध्य एशिया का क्षेत्र प्रोग्रेसिव कल्चर और वैल्यूज का गढ़ रहा हैं। सूफीवाद जैसी परंपरा यहाँ सदियों से पनपी और पूरे क्षेत्र और विश्व में फैलीं।

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पीएम ने आगे कहा कि मध्य एशिया की इस धरोहर के लिए एससीओ को कट्टरपंथ से लड़ने का एक साझा टेंपलेट बनाना चाहिए। भारत में और एससीओ के लगभग सभी देशों में, इस्लाम से जुड़ी उदारवादी, सहिष्णु और समावेशी संस्थाएं और परम्पराएं मौजूद हैं। एससीओ को इनके बीच एक मजबूत नेटवर्क विकसित करने के लिए काम करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि एससीओ की 20वीं वर्षगांठ इस संस्था के भविष्य के बारे में सोचने के लिए भी उपयुक्त अवसर हैं। मेरा मानना है कि इस क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और विश्वास में कमी से संबंधित हैं। अब इसके लिए एससीओ को भी कदम बढ़ाने चाहिए। हमें सभी एससीओ पार्टनर्स के साथ आगे काम करना होगा।

पीएम ने कहा कि कनेक्टिविटी की कोई भी पहल वन-वे नहीं हो सकती। इन प्रोजेक्ट्स को पारदर्शी और पार्टिसिपटेरी होना चाहिए। इनमें सभी देशों की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान होना चाहिए। एससीओ के इसके लिए उपयुक्त नियम बनाने चाहिए। कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स तभी हमें जोड़ने का काम करेंगे, न कि दूरी बढ़ाने का।

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