Vardha pro shukla

Humanization instead of mechanization: मशीनीकरण के जगह मानवीकरण पर बल देने से ही बेहतर चुनाव प्रबंधन संभव: प्रो. रजनी‍श कुमार शुक्ल

Humanization instead of mechanization: चुनाव प्रबंधन में मीडिया शोध की भूमिका’ विषय पर राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी

वर्धा, 19 मई: Humanization instead of mechanization: महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के क्षेत्रीय केंद्र प्रयागराज द्वारा चुनाव प्रबंधन में मीडिया शोध की भूमिका विषय पर एक दिवसीय (18 मई) राष्ट्रीय संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने कहा कि मशीनीकरण के बजाए मानवीकरण पर बल देने से ही चुनाव प्रबंधन अपनी परिणति को प्राप्त कर सकेगा। चुनाव प्रबंधन को मानवीय नजरिए से समझना जरूरी है।

प्रो. शुक्ल ने मीडिया शोध के महत्त्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मीडिया शोध को केवल डाटा विश्लेषण से नहीं समझा जा सकता और ना ही केवल तकनीक या कृत्रिम बुद्धि के भरोसे सही आंकड़े प्राप्त किए जा सकते हैं। मीडिया में यह ध्यान देना जरूरी है कि उसके पास विश्वसनीय डाटा है कि नहीं, डाटा एकत्रण किसी शोधार्थी द्वारा दिया गया है अथवा किसी अन्य द्वारा, डाटा पूर्वाग्रह मुक्त है या पूर्वाग्रहपूर्ण। उन्‍होंने कहा कि राजनैतिक दल चुनाव के परिणाम अपने पक्ष में लाने के लिए चुनाव प्रबंधन करते है। उपलब्‍ध डाटा की विश्वसनीयता पर चुनाव परिणाम निर्धारित होते है।

संगोष्ठी में वक्ता के रूप में राजनीतिक विश्लेषक और स्तंभकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने कहा कि नये मीडिया ने आम आदमी को जोड़ा है । सोशल मीडिया के दौर में राजनीति धर्म और जाति से नहीं बल्कि आम आदमी के मुद्दे भी चुनाव के नतीजों को तय कर रहे हैं। भारत की सांस्कृतिक विरासत को सांप्रदायिक खांचे में बांधकर देखने से गलत आंकड़े प्राप्त होते हैं। चुनावी विश्लेषकों के लिए जरूरी है कि देश की सांस्कृतिक विरासत को भी चुनाव के दौरान समझे और विश्लेषण करें।

संगोष्ठी के मुख्य वक्ता भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा मीडिया कर्मियों को जिम्मेदार एवं कर्तव्यपरायण होना चाहिए। यह भारत की आशाओं का समय है। संपादकों के विचारों के आधार पर जनता के विचार निर्माण की प्रक्रिया बंद हो चुकी है। आज आम आदमी अपने भोगे हुए यथार्थ के आधार पर चुनाव का निर्णय ले रहा है । आज मीडिया के सेलेक्टिव एप्रोच से तथ्य ग़लत हो गए हैं। आज मीडिया शोध के नजरिए से लोक विमर्श को केंद्र में रखकर बात करने की जरूरत है। उन्‍होंने कहा कि चुनाव प्रबंधन में मीडिया शोध को लेकर आम आदमी की भावनाओं को प‍हचानना आवश्‍यक है।

क्षेत्रीय केंद्र प्रयागराज के अकादमिक निदेशक प्रो. अखिलेश कुमार दुबे ने अतिथियों का स्वागत एवं परिचय दिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अख्तर आलम ने किया तथा संकाय सदस्य डॉ. शिखा शुक्ला ने धन्यवाद ज्ञापित किया। संगोष्‍ठी में बड़ी संख्‍या में अध्‍यापक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी प्रत्‍यक्ष तथा आभासी माध्‍यम से उपस्थित रहे।

क्या आपने यह पढ़ा…Maharashtra gov ended the age-old widow system: महाराष्ट्र सरकार ने विधवाओं के लिए वर्षों पुरानी रूढ़िवादी परंपराओं को समाप्त करने की घोषणा

Hindi banner 02