Filarial eradication program: सीडीओ ने दवा खाकर किया फाइलेरिया उन्मूलन एमडीए अभियान का शुभारंभ…
Filarial eradication program: स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी, नोडल अधिकारी और जिला मलेरिया अधिकारी ने भी फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन किया
मऊ, 10 फरवरीः Filarial eradication program: जनपद में शुक्रवार को राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत एमडीए अभियान की शुरुआत की गई। इस क्रम में विकास भवन में मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) प्रशांत नागर ने स्वयं कर्मचारियों के साथ दवा खाकर अभियान का शुभारंभ किया। इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी, नोडल अधिकारी और जिला मलेरिया अधिकारी ने भी फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन किया।
सीडीओ ने बताया कि उन्होंने पहली बार इस दवा का सेवन किया है। इसके साथ ही वह अगले पाँच वर्ष तक साल में एक बार इस दवा का सेवन करेंगे तथा फाइलेरिया बीमारी से सुरक्षित रहेंगे। यह बीमारी मच्छर के काटने से होती है। फाइलेरिया का वाहक गंदगी में मिलता है। इसके पैरासाइट्स कई साल तक शरीर में सुसुप्ता अवस्था में पड़े रहते हैं।
लंबे समय बाद इसका संक्रमण फैलने के बाद यह लाइलाज बीमारी हो जाती है। उस समय केवल देखभाल और साफ-सफाई से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। इस रोग से बचाव के लिए साल में एक बार अभियान चलाकर दो वर्ष तक के बच्चों, गर्भवती व गंभीर बीमारियों से ग्रसित व्यक्तियों को छोड़कर सभी को दवा खिलाई जाती है। यदि पांच साल तक फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन किया जाए तो इस बीमारी को शरीर में पनपने और बढ़ने से रोका जा सकता है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ नरेश अग्रवाल ने बताया कि फाइलेरिया बीमारी पुरानी है लेकिन इसको नियंत्रित और उन्मूलन करने के तरीके नए हैं। आज हम नए संक्रमण को फैलने से रोकने में समर्थ हैं। वेक्टर बार्न डिजीज के नोडल अधिकारी डॉ आरएन सिंह ने बताया कि फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाये जाने की शुरुआत हो चुकी है जो 27 फरवरी तक चलेगी।
ध्यान रहे हमें मिलजुल कर इस बीमारी से बचाव के तरीकों को अपनाना है। इसके लिए हम में से प्रत्येक को आशा या स्वास्थ्यकर्मियों के सामने पांच साल तक साल में एक बार दवा खाने की जरूरत है। यदि यह संभव न हो तो अगले ही दिन नजदीकी पीएचसी या स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर दवा लें और सेवन करें। उन्होने कहा कि “आइए हम सब एकजुट होकर इस बीमारी से लड़ें”।
नोडल अधिकारी ने बताया कि यह रोग स्त्री और पुरुष दोनों के शरीर के इन अंगो में जैसे पैर, गुप्तांग, स्तन, बांह में हो सकता है। फाइलेरिया के रोग में सूखी त्वचा, त्वचा का सामान्य से ज्यादा मोटा होना, छाले-युक्त त्वचा नज़र आना, त्वचा का रंग सामान्य से अधिक गहरा होना त्वचा खड़ी-खड़ी दिखाई पड़ना, इसके संक्रमण की पहचान या लक्षण को बताता है। संक्रमण से बचाव के लिए एमडीए अभियान में दवा खिलाकर परजीवी को शरीर में पहले ही प्रभावहीन कर दिया जाता है।
जिला मलेरिया अधिकारी बेदी यादव ने बताया कि अभियान के दौरान जिन लोगों को दवा खिलाई गई और उनकी अंगूली पर निशान भी लगाया गया। अभियान के तहत एक वर्ष से कम आयु के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर बीमारियों से ग्रसित व्यक्तियों को छोड़कर सभी को दवा खिलाई जानी है। अभियान के लिए बनी प्रत्येक टीम में दो सदस्य होंगे और एक टीम को एक दिन में कम से कम 25 घरों में जाकर अपने सामने दवा खिला रहे हैं।
लाभार्थियों के बोल “नगर क्षेत्र के मुंशीपुरा निवासी लक्ष्मी प्रसाद मौर्या (60) ने बताया कि पहली बार इस दवा का सेवन किया है। इसका काफी प्रचार प्रसार हुआ है जिसको लेकर आसपर के इलाके में सभी लोग दवा खाने के लिए जागरूक हुए हैं, उँगली पर निशान भी लगाया गया है। गीता देवी (50) ने बताया कि सुबह स्वास्थ्य विभाग के लोग आए उन्होंने अपने सामने दवा खिलाई है। टीम ने बताया कि यह दवा फाइलेरिया बीमारी के संक्रमण से बचने में सहायक होगी”।
क्या आपने यह पढ़ा….. Zindagi: ऐ जिंदगी, तू लोगों से इम्तिहान क्यों लेती है…..