Dr. Ambedkar birth anniversary celebration: हिंदी विश्वविद्यालय में मनाई बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर की जयंती
Dr. Ambedkar birth anniversary celebration: डॉ. आंबेडकर का सद्धम्म समाज की निर्मिती का मार्ग ही होगा श्रेष्ठ भारत: प्रो.शुक्ल
वर्धा, 15 अप्रैल: Dr. Ambedkar birth anniversary celebration: महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने कहा कि बाबासाहेब डाॅ. भीमराव आंबेडकर ने तथागत बुद्ध के दर्शन से देश और समाज के लिए ज्ञान, विवेक और करुणा की धम्म दृष्टि का रास्ता बताया था। उनके द्वारा प्रतिपादित सद्धम्म समाज की निर्मिती का मार्ग ही श्रेष्ठ भारत का रास्ता हो सकता है।
प्रो. शुक्ल बाबासाहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर की 132वीं जयंती के उपलक्ष्य में शुक्रवार, 14 अप्रैल को बोधिसत्व डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर समता भवन के प्रांगण में आयोजित जयंती उत्सव समारोह की अध्यक्षता करते हुए संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में वरिष्ठ आंबेडकरी चिंतक डॉ. एम. एल. कासारे, वर्धा कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे।
प्रो. शुक्ल ने डॉ. आंबेडकर के जीवन एवं कार्यों पर सारगर्भित विचार व्यक्त करते हुए कहा कि डॉ. आंबेडकर को समग्रता में जाना जा सकता है। राजनीतिक जीवन से निवृत्ति के बाद उनका शेष जीवन धम्म और संघ के लिए समर्पित रहा। उनका मानना था कि योग्य, आचारवाण और मूल्याधिष्ठित व्यक्ति की निर्मिती राजसत्ता से नहीं अपितु धम्म से ही हो सकती है।
धम्म आचरण में नैतिकता, करुणा है, और वास्तविक शांति का यही मार्ग हो सकता है। इसलिए उन्होंने धम्म जीवन की स्थापना का यत्न किया और बुद्ध के दर्शन से लोकमत की स्थापना का रास्ता बताया। आज यह रास्ता हमारी दृष्टि से ओझल हो रहा है। हमें अपने भीतर ज्ञान और विवेक की ज्योति प्रज्ज्वलित कर इस रास्ते पर चलने का संकल्प लेना चाहिए।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. एम. एल. कासारे ने कहा कि भारत लोकतंत्र की जननी है। बुद्ध के काल से ही भारत में जनतंत्र की समृद्ध विरासत चली आ रही है। डॉ. आंबेडकर ने बुद्ध एण्ड हिज धम्म इस ग्रंथ में इसका विवेचन किया है। सन् 1947 के बाद बहुत से राष्ट्र स्वतंत्र हुए परंतु अनेक प्रकार की विविधताओं के बावजूद भारत में जनतंत्र कायम रहा।
डॉ. आंबेडकर और बुद्ध के विचारों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि डॉ. आंबेडकर की दृष्टि में बुद्ध धम्म मानव के कल्याण का केंद्र है, इसलिए उन्होंने बुद्ध धम्म का स्वीकार किया। डॉ. कासारे ने अपने वक्तव्य में बुद्ध और पर्यावरण, बुद्ध और अर्थशास्त्र के साथ ही आर्य अष्टांगिक मार्ग तथा पंचशील तत्व आदि का भी विस्तार से विवेचन किया।
प्रास्ताविक वक्तव्य में संस्कृति विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो.एल. कारुण्यकरा ने कहा कि यह आयोजन ज्ञान का एवं डॉ. आंबेडकर की संकल्पनाओं का उत्सव है। 132वीं जयंती के उपलक्ष्य में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर समता भवन के प्रांगण में स्थापित डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की अध्ययनरत प्रतिमा के सामने 132 मोमबत्तियाँ एवं दीपक प्रज्ज्वलित किए गए तथा 132 गुब्बारे फोडे गए।
उपस्थितों के द्वारा 132 पुष्प प्रतिमा के सामने अर्पित किये गए। इस अवसर पर डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा स्थापित करने में योगदान देने वाले अध्यापक, अधिकारी और वर्धा शहर के नागरिकों को कुलपति प्रो. शुक्ल की ओर से प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। विश्वविद्यालय में विभिन्न प्रतियोगिताओं में सहभागी विद्यार्थियों को भी प्रमाण पत्र प्रदान किए गए।
कार्यक्रम का प्रारंभ कुलपति प्रो. शुक्ल की बुद्ध पर आधारित रचना ‘नमन है’ से तथा ज्ञान सूर्य तू इस जगत का इस गीत की प्रस्तुति से की गई। भंते जी ने बुद्ध वंदना प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन सहायक प्रोफेसर डॉ. संदीप सपकाले ने किया तथा छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. शिरीष पाल सिंह ने आभार ज्ञापित किया।
कार्यक्रम में कुसुम शुक्ला, प्रति कुलपति द्वय प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्ल, प्रो. चंद्रकांत रागीट, अधिष्ठातागण, विभागाध्यक्ष, अध्यापक, विद्यार्थी तथा शहर के गणमान्य नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
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