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COVID-19 Genome Sequencing Lab: अरविंद केजरीवाल ने कोविड-19 जीनोम सीक्वेंसिंग लैब का किया उद्घाटन

COVID-19 Genome Sequencing lab: सीएम अरविंद केजरीवाल ने आईएलबीएस में कोविड-19 जीनोम सीक्वेंसिंग लैब का किया उद्घाटन, अब दिल्ली सरकार के दो लैब में हो सकेगी कोरोना के नए वेरिएंट की जांच

  • कोरोना काल में विज्ञान की इस तकनीक से दिल्लीवासियों को काफी फायदा मिलेगा- अरविंद केजरीवाल
  • कोरोना संक्रमित व्यक्ति के आरएनए को उसके वायरस पर सीक्वेंस करा कर पता लगा सकते हैं कि वायरस ने अपना स्वरूप बदला है या नहीं- डाॅ. सरीन
  • हमारे पास हर सप्ताह 300 सैंपल को सीक्वेंस करने की क्षमता है और इसका परिणाम भी 5-7 दिन में आ जाएगा- डाॅ. सरीन

नई दिल्ली, 08 जुलाई: COVID-19 Genome Sequencing lab: मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भविष्य की तैयारियों के मद्देनजर आज आईएलबीएस में कोविड-19 जीनोम सीक्वेंसिंग की दूसरी लैब का उद्घाटन किया। सीएम ने कल इसी तरह की एक लैब का एलएनजेपी में उद्घाटन किया था। इसी के साथ कोरोना के नए वेरिएंट की जांच के लिए दिल्ली सरकार के पास अब दो लैब हो गई हैं। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इन लैब्स की मदद से कोरोना के किसी भी नए वेरिएंट की पहचान और उसकी गंभीरता का पता लगाया जा सकेगा और हम इससे बचाव को लेकर रणनीति बना पाएंगे। कोरोना काल में विज्ञान की इस तकनीक से दिल्लीवासियों को काफी फायदा मिलेगा। वहीं, आईएलबीएस के निदेशक डाॅ. शिव कुमार सरीन ने कहा कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति के आरएनए को उसके वायरस पर सीक्वेंस करा कर पता लगा सकते हैं कि वायरस ने अपना स्वरूप बदला है या नहीं। हमारे पास हर सप्ताह 300 सैंपल को सीक्वेंस करने की क्षमता है और इसका परिणाम भी 5-7 दिन में आ जाएगा। इस दौरान दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री श्री सत्येंद्र जैन के अलावा अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।

सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, ‘‘भविष्य की तैयारियों के मद्देनजर आज (COVID-19 Genome Sequencing lab) आईएलबीएस में दिल्ली सरकार की दूसरी जीनोम सीक्वेंसिंग सुविधा की शुरुआत की। इन लैब्स की मदद से कोरोना के किसी भी नए वेरिएंट की पहचान और उसकी गंभीरता का पता लगाया जा सकेगा। कोरोना काल में विज्ञान की इस तकनीक से दिल्लीवासियों को काफी फायदा मिलेगा।’’

 COVID-19 Genome Sequencing lab delhi

आईएलबीएस में जीनोम सीक्वेंसिंग लैब का उद्घाटन करने के उपरांत मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, ‘‘दिल्ली के लोगों से बताते हुए मुझे खुशी हो रही है कि आईएलबीएस में भी कोरोना वायरस के वेरिएंट की सीक्वेंसिंग (COVID-19 Genome Sequencing Lab) के लिए लैब शुरू हो गई है। मुझे उम्मीद है कि इसका पहला परिणाम अगले तीन-चार दिनों के अंदर आ जाएंगे। कल हम लोगों ने इसी तरह की एक लैब की शुरूआत एलएनजेपी अस्पताल के अंदर की थी। आईएलबीएस में जो लैब बनाई गई है, वह एलएनजेपी में बनाई गई लैब से बहुत ज्यादा उन्नत (एडवांस्ड) है और संभवतः उत्तर भारत की यहां पर इस तरह की यह पहली लैब है। मुझे लगता है कि इससे दिल्ली के लोगों को काफी फायदा होगा।

अभी तक हमारे जितने भी सैंपल थे, उसे जांच के लिए हमें केंद्र सरकार के एनसीडीसी में भेजने पड़ते थे। लेकिन अब हम इसकी जांच अपनी लैब में ही कर सकते हैं। अगर कोई नया वेरिएंट आता है, तो हमें तुरंत पता चल जाएगा। उस नए वेरिएंट से निपटने के लिए हमें जो भी रणनीति बनानी होगी, उसे हम बना सकते हैं। एक और लैब के चालू होने पर दिल्ली के लोगों के साथ आईएलबीएस की पूरी टीम को बधाई देना चाहता हूं। इससे पूरी दिल्ली को बहुत फायदा होगा।’’

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वहीं, आईएलबीएस के निदेशक शिव कुमार सरीन ने लैब (COVID-19 Genome Sequencing Lab) की विशेषता बताते हुए कहा कि जैसे पहले हम आरटी-पीसीआर करते हैं। आरटी-पीसीआर के बाद जो वायरस का भाग है यानि जो आरएनए है, उसको हम लोग बचा कर रख लेते हैं। रिपोर्ट में जो व्यक्ति कोरोना संक्रमित पाया जाएगा, उसके आरएनए को उसके वायरस के उपर सीक्वेंस कर सकते हैं। जैसे- अगर कोरोना से संक्रमित 100 लोग हैं, उनमें से करीब 5 का पूरा वायरस सीक्वेंस कर सकते हैं। इसमें 30 हजार माॅलीक्यूल्स होते हैं और वो सारा सीक्वेंस कर सकते हैं। हम उस सीक्वेंस का परिणाम बता सकते हैं कि यह वायरस पुराने से बदला है या पुराने जैसा ही है। अगर वायरस नया है और उसमें कोई बदलाव हुआ है, तो उसे हम वेरिएंट या म्युटेंट कहते हैं।

अभी हर वेरिएंट खतरनाक नहीं है, लेकिन हमारे लिए यह जानकारी रखनी जरूरी है कि दिल्ली में नए-नए मरीज आ रहे हैं, तो क्या वे बदलते हुए वायरस से हैं, या पुराने वायरस से हैं। पिछले साल के करीब एक लाख से ज्यादा पुराने मरीज हैं, उन सभी के सैंपल हमारे पास हैं। जब हमें आदेश मिलेगा, हम लोग उस सारे सैंपल या उसमें से कुछ को सीक्वेंस कर सकते हैं। हमारे पास हर सप्ताह लगभग 300 सैंपल को सीक्वेंस करने की क्षमता है और इसका परिणाम भी 5-7 दिन में आ सकते हैं। हम लोग इसकी गुणवत्ता के लिए भी बहुत ज्यादा जिम्मेदार हैं। ऐसा नहीं है कि जो हम सोचें वही है। गुणवत्ता के मामले में भी हम राष्ट्रीय स्तर के जो लैब हैं, उनके स्तर का हम लोग भी काम कर सकते हैं। 

उल्लेखनीय है कि आईएलबीएस कोविड महामारी के दौरान स्क्रीनिंग, परीक्षण और अनुसंधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और अब मुख्यमंत्री द्वारा सार्स सीओवी-2 जीनोम सीक्वेंसिंग लैब के उद्घाटन के साथ ही यह विशेष रूप से प्रारंभिक पहचान और समय पर रिपोर्टिंग द्वारा म्युटेंट स्ट्रेंस को लक्षित कर कोविड के समग्र खतरे का मुकाबला करने के लिए पूरी तरह से तैयार होगा। 

अगली लहर से निपटने के लिए तैयारी करने में मदद करेगी जीनोम सीक्वेंसिंग
पूरी दुनिया कोरोना महामारी का सामना कर रही है और यह वैश्विक स्तर पर सामाजिक व आर्थिक व्यवधान पैदा कर रही है। ऐसे में जीनोमिक सीक्वेंसिंग यह समझने के लिए मूलभूत उपकरण बन गया है कि वायरस कैसे विकसित हो रहा है और इससे बचाव के लिए हमें खुद को कैसे अनुकूलित करने की जरूरत है। यह एक ऐसी तकनीक है, जो आम लोगों में वायरस के बदलते स्वरूप को समझने और पहचानने में मदद करती है। सार्स सीओवी-2 के जीनोम सीक्वेंसिंग से उन स्ट्रेंस (उपभेदों) की पहचान करने में मदद मिलेगी, जो संक्रामकता की बढ़ी हुई दर और नैदानिक परिणामों की गंभीरता के साथ जीवन के लिए अधिक खतरनाक हैं।

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सार्स सीओवी-2 के जीनोम सिक्वेंसिंग द्वारा निरंतर वायरोलॉजिकल निगरानी से सर्कुलेटिंग वायरल स्ट्रेन पर नियंत्रण रखने में मदद मिलेगी और साथ ही शहर में किसी भी नए वेरिएंट (संस्करण) की समय पर पहचान व पता लगाने में मदद मिलेगी और दिल्ली को बेहतर तरीके से कोविड-19 संक्रमण की किसी भी लहर से निपटने के लिए तैयार किया जा सकेगा। ।इसी उद्देश्य से दिल्ली सरकार आईएलबीएस में सार्स सीओवी-2 के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग शुरू करने जा रही है।

इससे दिल्ली-एनसीआर और आसपास की एरिया में क्लीनिकल महत्व के साथ नए स्ट्रेंस और वेरिएंट की पहचान और स्क्रीनिंग के लिए सार्स सीओवी-2 वायरस की अच्छी गुणवत्ता वाले संपूर्ण जीनोम सीक्वेंस डेटा प्राप्त करने में मदद मिलेगी। साथ ही, यह डेटा, जीनोमिक डेटा के आधार पर नए स्ट्रेंस या वेरिएंट के वर्गीकरण में भी मदद करेगा। संक्रमण की क्षेत्र या जिलावार निगरानी को लक्षित कर भविष्य में संक्रमण में होने वाली वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए लक्षित जीनोमिक निगरानी को बढ़ाया जा सकता है।