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Campaign against noise pollution: वाराणसी मे ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ सत्या फाउंडेशन ने चलाया असरदार अभियान

Campaign against noise pollution: दीपावली खुशियों का त्यौहार है, डी.जे. और पटाखा बजा कर इसे मातम का त्यौहार नहीं बनायें

  • व्याख्यान और लघु नाटक के द्वारा विद्यार्थियों को किया गया जागरूक
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रिपोर्ट: डॉ राम शंकर सिंह
वाराणसी, 23 अक्टूबर:
Campaign against noise pollution: ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ अभियान चलाने वाली राष्ट्रीय संस्था ‘सत्या फाउंडेशन’ ने केंद्रीय विद्यालय कंचनपुर (बरेका) और दोपहर बाद संत अतुलानंद कॉन्वेंट स्कूल, गिलट बाजार में शोर प्रदूषण के खतरों के प्रति विद्यार्थियों को सजग किया. किसी भी धार्मिक पर्व या उत्सव की आड़ में जानलेवा डीजे और पटाखे के पूर्ण बहिष्कार का संकल्प कराया।

केंद्रीय विद्यालय, कंचनपुर में विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए ‘सत्या फाउंडेशन’ के सचिव चेतन उपाध्याय ने कहा कि कोई भी परंपरा देश के कानून से ऊपर नहीं है और उत्सव मनाते समय इस बात का ध्यान रखें कि हमारी खुशी मनाने के तरीके से पास के किसी व्यक्ति को कोई तकलीफ ना हो। कानून के मुताबिक साइलेंस जोन में यानी स्कूल-कॉलेज, उपासना स्थल, अस्पताल और कोर्ट के 100 मीटर के दायरे में हॉर्न, बैंड-बाजा, आतिशबाजी या डी.जे. का प्रयोग करना पूर्णत प्रतिबंधित है।

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मगर यह भी ध्यान रखना होगा कि आज की तारीख में प्रदूषित वायु, प्रदूषित जल और भयंकर महंगाई के चलते अधिकाँश लोगों को संतुलित भोजन नहीं मिलने के कारण, आबादी का एक बड़ा हिस्सा बीमार है और ऐसे बीमार लोगों की एक बड़ी संख्या घरों में भी रहती है। इस नाते हम नागरिकों की सामूहिक जिम्मेदारी कहीं अधिक बढ़ जाती है।

विशिष्ट वक्ता के रूप में आमंत्रित, ज्योतिषाचार्य मनीष दुबे ने बच्चों से अपील की कि वे दीपावली पर पटाखों का बिल्कुल ही प्रयोग नहीं करेंगे और इसकी बजाय केवल मिट्टी के दिए ही जलाएंगे। विद्यार्थियों ने हाथ आगे करके शपथ ली कि किसी भी शादी विवाह, धार्मिक पर्व या उत्सव की आड़ में जानलेवा डीजे और पटाखे का पूर्ण बहिष्कार करने हेतु अपने घर और आसपास के लोगों को समझायेंगे और जो नहीं मानेगा खिलाफ शिकायत दर्ज करायेंगे। कार्यक्रम के अंत में प्रधानाचार्य श्री करुणाकर उपाध्याय ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

संत अतुलानंद कॉन्वेंट स्कूल, गिलट बाजार में आयोजित एक अन्य कार्यक्रम मे चेतन उपाध्याय ने विद्यार्थियों को ध्वनि प्रदूषण से होने वाले नाना प्रकार के नुकसानों के बारे में बताया। चेतन उपाध्याय ने कहा कि दीपावली खुशियों का त्यौहार है, डी.जे. और पटाखा जला कर इसे मातम का त्यौहार नहीं बनायें। यह भी बताया कि एक रात के आतिशबाजी के शौक के चलते पूरे देश के अस्थमा के मरीज अगले चार-पांच दिनों तक छटपटाते हैं। सभी प्रकार के जीव-जंतुओं के लिए बेहद खतरनाक है यह आतिशबाजी का जहरीला धुआं और कानफाडू शोर।

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इस अवसर पर विशिष्ट वक्ता के रूप में, पूर्वांचल के प्रसिद्द ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. कर्मराज सिंह ने अपनी सृजनात्मक शक्ति का प्रयोग करते हुए मौके पर ही बच्चों को लघु नाटक की स्क्रिप्ट दी और फटाफट पात्रों का चयन करके उन्हें अभिनय के लिए तैयार भी कर लिया और फिर विद्यार्थियों द्वारा रोचक प्रस्तुतीकरण हुआ। सच कहा जाए तो आपने लघु नाटक के माध्यम से बहुत ही रोचक अंदाज में समा बांध दिया और विद्यार्थियों को यह अनुभव करने में कामयाब रहे कि डी.जे. और पटाखा दोनों के पूर्ण बहिष्कार में समाज का कल्याण है।

विद्यार्थियों ने हाथ आगे करके शपथ ली कि किसी भी शादी विवाह, धार्मिक पर्व या उत्सव की आड़ में जानलेवा डी.जे. और पटाखे का पूर्ण बहिष्कार करने हेतु अपने घर और आसपास के लोगों को समझायेंगे और जो नहीं मानेगा उसके खिलाफ पुलिस से शिकायत करेंगे। कार्यक्रम में प्रधानाचार्या अमिता सिंह, प्रभारी अरुण कुमार सिंह और सचिव राहुल सिंह उपस्थित थे।

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