देहदान (Body donation) के लिए शाह दंपत्ति ने कराया रिम्स में रजिस्ट्रेशन
देहदान (Body donation) के लिए शाह दंपत्ति ने कराया रिम्स में रजिस्ट्रेशन
राख में तब्दील होने से अच्छा है यह शरीर किसी के काम में आएगा
रिपोर्ट: शैलेश रावल, धनबाद
धनबाद, 24 फरवरी: झारखंड की राजधानी रांची के लालपुर में रहने वाले 70 वर्षीय बुजुर्ग दंपत्ति ललित भाई एवं भारती बेन शाह ने मरणोपरांत अपना देहदान (Body donation) करने का निर्णय लिया है। इसके लिए शाह दंपत्ति ने रांची के राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (रिम्स) में नामांकन भी करा दिया है।
इस संबंध में दूरभाष पर ललित भाई शाह ने बताया कि हमारा शरीर पुराने वस्त्र के समान है जबकि आत्मा अमर है। मेरी आत्मा ने न जाने कितने शरीर बदले होंगे। मरणोपरांत फिर आत्मा एक नया शरीर धारण करेगी। शरीर को पंचतत्व में विलीन करने से अच्छा है कि उसका (Body donation) दान कर दिया जाए। जिससे वह किसी के काम में आए।
उदाहरण देते हुए कहा राजकुमार सत्त्व ने सावकों को भूख से मरने से बचाने के लिए अपने शरीर का त्याग कर दिया था। दधीचि ने अपना शरीर इसलिए त्याग दिया था ताकि उनकी हड्डियों से धनुष बनाया जा सके जिससे दैत्यों का संहार हो सके। राजा शिवि ने कपोत को बचाने के लिए अपने शरीर को प्रस्तुत कर दिया था।
उन्होंने कहा मृत देह किसी काम का नहीं होता है। लेकिन इसी मृत देह के जरिए मेडिकल छात्र काबिल डॉक्टर अवश्य बन सकते हैं। एमबीबीएस और बीडीएस की शिक्षा में मृत देह का ठीक वैसा ही महत्व है जैसा किसी मकान के निर्माण में नींव का, लेकिन असल दिक्कत देहदान (Body donation) की कमी है। मृत्यु के बाद वैसे भी यह शरीर राख में तब्दील हो जाएगा। इससे अच्छा है कि यह शरीर किसी के काम में आएगा।
उल्लेखनीय है कि श्री शाह कई बीमारियों का निशुल्क इलाज करते हैं। उनसे अमेरिका, ओमान सहित विभिन्न देश के लोग संपर्क कर इलाज करवाते हैं। यह काम वे सेवा भाव से करते हैं। गरीबों का निशुल्क में इलाज करते हैं।
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