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BHU Professor Death: रहस्यमय अग्निकांड में बीएचयू की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. किरण सिंह की मौत

BHU Professor Death: बीएचयू में जेनेटिक साइंस की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. किरण सिंह (45) की सोमवार को रहस्यमय परिस्थितियों में जल कर मौत हो गई

रिपोर्ट: डॉ राम शंकर सिंह

वाराणसी, 20 जुलाई: BHU Professor Death: बीएचयू में जेनेटिक साइंस की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. किरण सिंह (45) की सोमवार को रहस्यमय परिस्थितियों में जल कर मौत हो गई। घटना बीएचयू में त्रिवेणी संकुल के पीछे स्टाफ क्वार्टर में हुई। शॉट सर्किट से आग लगी या आग लगाई गई, इस दुविधा को दूर करने में फोरेंसिक टीम भी लग गई है। टीम ने सीन रीक्रिएशन भी किया।

BHU Professor Death: मौके से मिली जानकारी और साक्ष्यों के आधार पर प्रथम दृष्टया दोनों ही बातों की आशंका हो रही है। आग से डॉ. किरण सिंह पूरी तरह झुलस गई थीं। घटना छत की ओर जाने वाली छोटी सी जगह में हुई। उसके दो तरफ दो दरवाजे हैं। एक बाहर छत की ओर खुलता है, दूसरा कमरे की ओर। दोनों ही दरवाजे अंदर से बंद थे। ऐसे में संदेह की सुई आत्महत्या की ओर भी इशारा कर रही है।

BHU Professor Death: बताया जाता है कि जिस वक्त घटना हुई डॉ. किरण के पति डॉ. विवेक सिंह घर पर नहीं थे। मध्याह्न करीब साढ़े बारह बजे डॉ. किरण सिंह की 13 वर्षीय बेटी स्वयं प्रभा ने दरवाजे के पीछे से धुआं निकलते देखा। उसने दरवाजा खोलने की कोशिश की, लेकिन दरवाजा नहीं खुला। उसने अपने पिता को फोन करके जानकारी दी, जो उस वक्त किसी काम से भोजूबीर गए हुए थे। उन्होंने सरोजनी नायडू हॉस्टल के मेस कर्मचारी को फोन करके वहां पहुंचने को कहा।

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इस बीच फ्लैट से धुआं निकलता देख पड़ोसियों ने प्रॉक्टोरियल ऑफिस, पुलिस और दमकल को भी सूचना दे दी। जब लोगों ने दरवाजा तोड़ा तो देखा सामने फर्श पर डॉ. किरण जली हुई अवस्था में पड़ी हैं। हालांकि तबतक वह दम तोड़ चुकी थीं। पुलिस के पहुंचने के करीब आघे घंटे बाद फोरेंसिंक टीम भी मौके पर बुला ली गई। फोरेंसिक टीम ने साक्ष्य जुटाने के बाद तत्काल बाद शव को उसी हालत में रखकर आत्‍मत्‍या और हादसा के सीन को रीक्रिएट किया। परिजनों के सामने पंचनामा भरकर शव पोस्‍टमार्टम के लिए भेज दिया गया।

पड़ोसियों के अनुसार डॉ. किरण सिंह काफी मिलनसार महिला थीं। उन्हें जानने वाले लोग विश्वास नहीं कर पा रहे हैँ कि वह आत्महत्या भी कर सकती हैं। 45 वर्षीय डॉ. किरण परिसर स्थित सरोजिनी नायडू हॉस्टल की वॉर्डेन भी थीं। घटनास्थल की ओर खुलने वाले दोनों दरवाजों के बंद होने के साथ ही मौके पर अघजले कागजों का मिलना भी पुलिस को आत्महत्या के एंगल पर सोचने के लिए विवश कर रहा है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि आग भड़काने के लिए पहले कागजों का इस्तेमाल किया गया है।

बीएचयू कैंपस में दो दशकों से भी अधिक समय से रह रहे लोगों को याद नहीं आता कि कैंपस में कभी इस तरह की कोई वारदात हुई हो। लोग इस घटना को लेकर तरह तरह की चर्चाएं भी कर रहे थे। कुछ लोगों ने दबी जुबान में स्वीकार किया कि पति की कमाई का कोई ठोस जरिया न होने के कारण दोनों के बीच अक्सर अनबन हुआ करती थी।

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