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गुलशन जहाँ सभी के लिए हो

काव्य

Dilip Bachani
डॉ दिलीप बच्चानी 
पाली मारवाड़, राजस्थान 

कंटीले नुकीले
कांटेदार केक्टस ही केक्टस
है चहुँ ओर।
खरपतवार ने कर लिया है
कब्जा पूरे बगीचे पर।
लहूलुहान तितलियां
लाचार,बेबस
ढूंढ रही है
सुरक्षित आश्रय।
आओ !
हम सब मिलकर
उखाड़ फेके इस
अनचाही खरपतवार को,
और बनाये एक ऐसा
गुलशन जहाँ सभी के लिए हो
समुचित स्थान,
जहाँ फूल मुस्कुरा सके
परिंदे चहचहा सके।
और तितलियां
बचा सके खुद को
नुकीले कांटो से।

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