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था कभी यह आर्यवर्त.. था कभी यह आर्यवर्त..

Parinay Joshi Ajmer
परिणय जोशी
न्यायिक मजिस्ट्रेट, अजमेर

था कभी यह आर्यवर्त..
था कभी यह आर्यवर्त..
श्री राम-कृष्ण-शंकराचार्य और विवेकानंद सबने यहीं जाना धर्म का मर्म।
सप्त ऋषियों का भी हुआ यहीं जन्म,
गुरु गोविंद सिंह ने भी लिया यहीं प्रण,
स्वामी बुद्ध-महावीर ने किया वन ग़मन | 1 |

था कभी यह आर्यवर्त..
था कभी यह आर्यवर्त..
धर्मों का समागम यहां अनुपम,
शौर्य-स्वच्छंदता से आरास्ता हर कण,
धार्मिक साहित्य का अद्भुत सम्मिश्रण,
मौर्य का शौर्य बतलाए इसका हर जन,
क्या मानव- क्या दानव पूजते थे इसको देव-गण | 2 |

था कभी यह आर्यवर्त..
था कभी यह आर्यवर्त..
है इतिहास में इसके कई प्रमाण,
थी अनूठी आन-बान और शान,
सरपट भागते थे दुष्ट चाहे हो बलवान ,
वेदों में मिल जाता था हर समाधान,
सोने सा चमकता था यह गुलिस्तान | 3 |

था कभी यह आर्यवर्त..
था कभी यह आर्यवर्त..
अपने मूल से जब विरक्त हुए
यहाँ के नार और नर
फ़िरदौस नगरी हो गयी बंजर,
दुष्ट यवनों ने फेंके पत्थर,
स्वार्थ से सब हो गये तितर-बितर,
ईस्ट इंडिया के नाम पर दुष्ट अंग्रेजों ने नोच लिया आर्यवर्त का हर मंजर | 4 |

था कभी यह आर्यवर्त..
था कभी यह आर्यवर्त..
इतिहास में कोई लड कर हरा ना सका,
हमारी सेना का पार पा ना सका,
हम तो हारे अपने ही अधर्मी दुर्योधनों- जयचंदों-शकुनी के वारों से
हारे धर्म और जातियों के बँटवारों से,
फिर हारे हम अपने ही कु-संस्कारों से,
आर्यवर्त के पश्चात्त्य दुर्विकारों से
आर्यवर्त के लूटेरे इन अंधियारों से | 5 |

था कभी यह आर्यवर्त..
था कभी यह आर्यवर्त..
जो आतंकिस्तान हमारी पैदाइश है वो हमको घेरे हैं,
हमारे टुकड़ों पर पलने वाला नेपाल आँखें तरेरे है,
धूर्त-चपल-चालक चीन ने हमारे घर में घुसपैठ किया,
हमने उसे अलग अलग मोर्चों पर सचेत किया,
उसने हर मोर्चे पर विश्वास में छेद किया | 6 |

स्वार्थों को छोड़ना होगा,
अब हमें एक सूत्र में पिरोना होगा
फिर से आर्यवर्त बनना होगा..

अब ना याचना ना मंचन ना भाषण होगा,
युद्ध प्रचंड-भीषण किसी भी क्षण होगा,
महाभारत का पुनः चित्रण होगा,
अधर्मी दुश्मनो का भक्षण होगा,
लाल क़िले से एक सुर में जन गन मन जयघोष होगा,
जय वेद…जय आर्यवर्त…जय भारत उदघोष होगा!
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परिणय जोशी,अजमेर

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