Nidhi singh

Shri Ram Leela: श्री राम लीला: निधी सिंह

Shri Ram Leela, Nidhi singh

Shri Ram Leela: श्री राम की, लीला कहूं, गुणगान मैं, करती रहूं
कैसे जियूँ, श्री राम बिन, मैं राम अब, रटती रहूं
तन राम है, मन राम है, कण कण प्रभु, का धाम है
मन लग गया, श्री राम में, संसार का, क्या काम है

बनवास को, वो चल दिए, आज्ञा पिता, की मान कर
सब छोड़ कर, दिल तोड़ कर, वैभव भरत, के नाम कर
इक बार भी, सोचा नहीं, संताप मन, धारा नहीं
ये काल का, ही फेर है, ये सोच दिल हरा नहीं

सीता लखन, को साथ ले, चलते गए, दिन रात वे
बन बन भटक, ते डोलते, सहते तपन संताप वे
सब पेड़ वन, के धन्य है, श्री राम, उनके संग है
यश जान सुन, श्री राम का, सारी धारा तो दंग है

दानव दलन, कर ते चले, पीड़ा सभी हरते चले
रघुकुल प्रथा का मान रख, उद्धार वे करते चले
सीता हुई व्याकुल बड़ी, जब काल की, आई घडी
रावण बना, भोगी तभी, छल मात्र से, सीता ठगी

वो चीखती, हुंकारती, व्याकुल नज़र, से ताकती
सूचित करो श्री राम को, गृध्रराज को, वो बोलती
व्याकुल हुए, श्री राम भी, सीता हरण, को जान कर
लछमन सहित, वे चल पड़े, अपना हिया, चट्टान कर

श्री राम की सेना चली, वानर सहित, हनुमान भी
सब चल पड़े, लंका दिशा, हो धूल बेशक जान भी
वानर तनुज, नल नील ने, तट सेतु का, विरचन किया
श्री राम जी, के नाम से, सब ने विमल, तन मन किया

जब पुंछ से, लंका जली, चारो तरफ़, बस शोर था
दे मुंदरी, बोली सिया, मारो उसे, जो चोर था
अब धर्म का, विस्तार हो, चारो तरफ़, बस प्यार हो
गुणगान हो, श्री राम का, जय विष्णु का, अवतार हो

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