Safar e jindagi: सफर ए जिन्दगी ऐसा क्यों है: रेणु तिवारी “इति”
सफर( Safar e jindagi)
Safar e jindagi: सफर ए जिन्दगी ऐसा क्यों है?
भीड़ में भी हर शख्स तन्हा क्यों है?
काफिले बदलते रहते है खुशियों की तलाश में,
पर वो सुकुन के दो पल भी नदारद क्यों है?
वक्त कट ही जाता इस तरह,फिर दिल की ये आरजू इतनी बेकाबू क्यों है?
जो साथ है उसकी कद्र नहीं,और जो किस्मत में नहीं उसकी तलब क्यों है?
दूर तक तकती है बेसब्र निगाहें,बरसो से खामोश लबों पर इतना शोर क्यों है?
आसान था ज़मी से जुड़ के ज़मी पर चलना, फिर आसमान में उड़ने की इतनी जिद क्यों है?
सफर ए जिन्दगी ऐसा क्यों है?