puppet: आज कल तो हर कोई कठपुतली के समान है.
~~कठपुतली (puppet) ~~
हर किसी का जीवन संघर्ष के समान है.
कठपुतली (puppet) होना भी कहाँ आसान है?
दूसरों के हाथ में जब आपके चलने की चाभी हो,
तो लाख सुकून होने पर भी खुलकर जीना कहाँ आसान है?
एक ज़माने में तो कठपुतली नाम देने का कारण था,
क्योंकि लकड़ी की गुड़िया को दिया गया ये नाम है.
लेकिन बिना भावना के उससे करतब दिखाना,
तो फिर भी उसके लिए आसान है..
जीते जी किसी के इशारों पर नाचना,
तो अपने ही घर में परतंत्रता के समान है..
आज कल के इंसान की बात करें,
तो हर कोई खुद की परिस्थिति से हैरान है.
हर किसी के हाथ में है किसी ना किसी की चलाने की चाभी,
आज कल तो हर कोई कठपुतली के समान है.
निकलना तो हर कोई चाहता है इस कश्मकश से,
लेकिन इस मायारूपी जरुरत भरी दुनिया से,
पार पाना भी कहाँ आसान है?
खुल के तो सब जीना चाहते हैं खुद की जिंदगी,
लेकिन वक़्त के हाथों सब कठपुतली के समान हैं.
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