मातृत्व प्रेम से बढ़कर ना देखा, अनमोल बंधन इस जगत में हमने

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मातृत्व प्रेम

मातृत्व प्रेम से बढ़कर ना देखा
अनमोल बंधन इस जगत में हमने
ना करना कभी अपमान इनका
जो जननी हमारी,करती हमसे निस्वार्थ प्रेम ,

हर डगर, हर मुश्किलों में देती साथ
हमारी माँ पहली शिक्षिका ,पहली सखी,
जो अपने बच्चो का अंर्तमन की व्यथा भी
पहचान लेती है और पल भर में उसे ,

कम कर देती है , गले लगा कर
कहती है हमसे ना हो मायूस
सब होगा सठीक …..
धैर्य, सहनशीलता, सदाचारी का
पाठ सिखाती हमे वह,

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अपनी आंसू छुपा हमे हंसाती वह
अगर हो जाए भूल हमसे तो
उसे सुधार देने की साहस
रखती है हमारी माँ…..

जितना लिखुँ माँ के बारे में
शब्द कम पर जाए मेरे
ना होना कभी अपनी माँ से
खफा तुम क्योंकि वह है
जननी तुम्हारी ,

मातृत्व प्रेम से बढ़कर ना देखा
अनमोल बंधन इस जगत में हमने
अच्छे – बुडे़ का वो भेद बताती |

ममता कुशवाहा ~~

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