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Man has his own definition: मर्द की अपनी एक अलग ही परिभाषा है: जय कुमार सिंह

     “मर्द”

मर्द की अपनी
एक अलग ही परिभाषा है
कभी माॅ का लाडला
कभी भाई, कभी पिता
तो कभी शैहर;
कहलता है वो तो।

अनेक खूबियाँ है उसमें
परिवार की हर मुश्किल में
हर मोड़ पे
नज़र आता है वो तो।

खुश रहना फ़ितरत है उसकी
हर रिश्ता निभाता है वो तो ।
रिश्तों की बागडोर में
उलझता है कुछ ऐसा
बिन बोले ही,
समझ लेता है वो तो।
जेब खाली हो पैसों से
फिर भी हँसते- हँसते
हँसाता है वो तो।
सबके मांगो पर खरा उतरता है वो तो।।

मैंने सोचा, क्या वह मर्द..?
अपने मेहबूब की शिकवा को,
पूरा करने से घबराता नहीं
वो पागल सा है
वो भोला व सुलझा सा है
इसलिए वो हर औरत को बराबर
अधिकार दिलाना चाहता है वो तो
वो खुद को खुद से
आगे बढ़ना चाहता है वो तो
हाँ वो पागल सा है
वो जीवन के हर रंग में रंगना जानता है वो तो।।

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