Maa Ambe: तुम सर्व मंगलकारी हो माँ
Maa Ambe: ” तुम सर्व मंगलकारी हो माँ “
माँ है माता भागय विधाता,
अरू ममता का रूप है माँ ।
माँ है करूणा प्रेम भावना,
अरू जीने की आश है माँ ।
माँ है त्याग तपस्या मेरी,
जीवन की परिभाषा है माँ ।।
आराध्य अंबे माँ की आस,
नवरात्रि की जगमग रात।
रोम- रोम में भक्ति का वास,
उमंग, उत्सव की है रात ।।
त्रिभुवन की तू शक्ति,
करूँ मैं तेरी ही भक्ति।
नौ जोत तेरा नौ रूप उजागर ,
पार लगा दे मईया ये भवसागर।।
कही काली,कही दुर्गा तो कही लक्ष्मी
है रूप अनेक माँ तेरे।
तेरे अनेक रूपों का हाथ जोड़कर विनती करू,
हे जगत जननी माँ जगदम्बा ।।
माँ, तुम सुख, समृद्धि दायिनी हो,
तुम जग कल्याणकारी नी हो।
शांति दायिनी, जगत जननी हो माँ
तुम सर्व मंगलकारी हो माँ।।
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