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बनाते चलो मित्र…बनाते चलो मित्र..!

Parinay Joshi Ajmer
परिणय जोशी
न्यायिक मजिस्ट्रेट, अजमेर

मित्र!
मित्र …इस दुनिया में सबसे विचित्र,
इनसे ना छुपे मन का कोई भी चित्र
।१।

ना गुण मिलान-ना ख़ून के रिश्तेदार,
फिर भी सबसे अलग-सबसे जुदा इनका किरदार!
इनसे बतियाने का नही होता कोई चौघडिया-वार,
हर बात में गालियाँ बेशुमार
।२।

मित्र …इस दुनिया में सबसे विचित्र,
जन्मदिन को बना दे त्योहार,
नहीं चाहिए यहाँ कोई संस्कार,
बस एक कप चाय में
बंट जाता दुःख-दर्द हर बार
।३।

मित्र …इस दुनिया में सबसे विचित्र,
एक पिज़्ज़ा के टुकड़े हज़ार,
हमारे फ़ोन से ही मिलते इनको अपने रिश्तेदार,
एक मोटरसाइकल पर चार सवार,
तेरी वाली- मेरी वाली का बिन झगड़े हों बटवार।
।४।

मित्र …इस दुनिया में सबसे विचित्र,
कुछ होगा तो हम देख लेंगे का राग,
आगे हो बलवान तो जाए भाग,
चाहे हो झगड़ा या हो फ़साद,
कोई उपाय नही फिर भी
बातों से ही मिटा देते हर अवसाद
।५।

मित्र …इस दुनिया में सबसे विचित्र,
जिसके पास हो मित्र,
उन्हें ना छू पाए कोई ग्रहण या बुरा नक्षत्र,
मित्र जैसे बगिया में फूल वाले इत्र,
यही बनाते है आपकी ज़िंदगी का चलचित्र
।६।

इसलिए सँवारों चरित्र, चाहे हो विचित्र बनाते चलो मित्र…बनाते चलो मित्र..!

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