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Kavya Goshthi: संपूर्ण रुप से स्वतंत्र है हमारा, वसुदेव कुटुम्बकम का मंत्र है हमारा; काव्य गोष्ठी का आयोजन

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सेंधवा, 02 फरवरी: Kavya Goshthi: शनिवार को सेंधवा काव्यमंच के तत्वावधान में एक साहित्यिक काव्य गोष्ठी का आयोजन निवाली रोड स्थित सेंधवा पब्लिक स्कूल में किया गया । दिपक भार्गव एंव राजेन्द्र सोनवणे द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा को के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित कर गौष्ठी का आरंभ किया। इस अवसर आयोजित काव्य गोष्ठी में नगर के प्रतिष्ठित रचनाकारों ने अपनी रचना प्रस्तुत की।

डॉ के आर शर्मा एवं डॉ जी सी खले ने अपनी शब्दो से आजादी के पहले का सफर करवाया वह अद्भुत एवं अद्वितीय था। डॉ महेश बाविस्कर ने अपनी रचना सुनाई कि “मौसम वह भी एक अजीब था। वह मौसम उनके लिए भी बसंती था ,गुलामी जब हिंदुस्तानियों का नसीब था ,जहां रहकर भी हंसते हुए वह कहते थे देश के लिए काम आया खुशनसीब था..। पवन शर्मा हमदर्द ने गणतंत्र के महत्व को प्रतिपादित करती रचना राष्ट्र है संपूर्ण रुप से स्वतंत्र है हमारा, वसुदेव कुटुम्बकम का मंत्र है हमारा ,और थोड़ा तो नाज करो देशवासियों संसार में सबसे बढ़ा गणतंत्र है हमारा..।

शहर के नौजवान उर्दू शायर वाजीद हुसैन साहिल ने अपने बेहतरीन तरन्नुम में ग़ज़ल सुनाते हुए रिश्तों की सच्चाई इस तरह बयान की ” वो जो बचपन के यार होते हैं, किस कदर जां निसार होते है, पहले होते थे बेगरज़ रिश्ते, अब तो बस कारोबार होते है..। चीख बेटे की सुन के मां बोली, लफ़्ज़ भी दिल के पार होते है” ll…

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राजेन्द्र सोनवणे ने अपनी रचना मेरी तस्वीर को उसने क्या पसंद किया ,मैं अपनी तस्वीर को दिन में 10 बार देखने लगा, क्या बसंत है यार कि मैं बार-बार पेश होने लगा…हाफिज अहमद हाफिज ने रचना सुनाई कि..उम्र छोटी थी मगर बोझ था सर पर ज़ियादा छोटे हाथो से ही हम यार कमाने निकले, मेरे सीने मे दफन राज़ थे जिनके हाफिज़, लोग वो सारे मेरे ऐब गिनाने निकले..।

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मोहित गोयल ने “अब उस गली में जाना अच्छा नहीं लगता” रचना सुनाई ।. डॉ सन्नी सोनी ने महाकुंभ पर अपनी रचना महाकुंभ में तन मन नहाए सनातन की धारा को अपनऐ, योग वेद तप और ध्यान भारत की यह पहचान .. “..दिपक भार्गव ने सुनाया कि एक ही गीत है जिसमें शब्द लगभग वही है। जिसमें एक हेप्पी सांग एक तु जो मिला सारी दुनिया मिली और दुसरा शेड सांग एक तु न मिला सारी दुनिया मिले तो क्या कम है….।

अपने चिर-परिचित अंदाज में संचालन करते हुए विशाल त्रिवेदी आदिल ने कुण्ड़लीया छंद में रचना सुनाई कि मानव कि पहचान है सार्थक शब्द प्रयोग, प्राणी भी यह कर रहे भावों का उपयोग ,। इसके अतिरिक्त तथा जो सियासी है आम है वो भी। सभी का ग़ुलाम है वो भी।पुर्जा पुर्जा जो मिरे ख़त आए।। एक गहरा पयाम है वो भी।।

निजाब बाबा ने रचना सुनाई “हिंदुस्तान की सरजमीं पर एक ऐसा निशान हैं जहां हिंदू मुस्लिम भाई समान है इसलिए तो मेरा देश महान है.. काव्य गोष्ठी में हर रचनाकार के पाठ के बाद प्रो जी सी खले ने अपने अंदाज में समीक्षा की जो न सिर्फ साहित्य के घोंसले का निर्माण करने में अपनी भूमिका निभा रहा है,अपितु अपने कौशल को संवारने का मंच भी प्रदान कर रहा है । उक्त काव्य गोष्ठी में राजेश शर्मा ….. उपस्थित थे । यह जानकारी डॉ विकास पंडित ने दी ।

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