Jindagi: जितना तुम्हें समझने की कोशिश की है ऐ जिंदगी, तुम उतनी ही उलझति गई हो
!! जिंदगी !! (Jindagi)
Jindagi: जितना तुम्हें समझने की कोशिश की है ऐ जिंदगी, तुम उतनी ही उलझति गई हो
हर पल खुश रहने को कोशिश की है, उतनी बार निराश करते गई हो
आजतक कोई समाज नहीं पाया है जिंदगी का सफर
कुछ खट्टे , मीठे पलो की याद है
कभी खुशी तो कभी दुख का संगम है
कुछ पाने की चाहत से कुछ खोने का डर है
कभी दुसरो से प्यार करना सिखया तो कभी अकेले लडना
छोटी छोटी खुशी को जीना सिखया है तो कभी सपनों को साकार करने की हिम्मत
बहोत अनोखी है ये जिंदगी
कभी अपने को खोने का डर है तो कहीं परयो को अपना बनाना की इच्छा
एक खुली किताब है जिंदगी जीतना समझते जाओ उतने ही सवाल आते हैं
बस एक मुस्कान से कुछ पल सवर जाते हैं
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