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Har koi ulajha hai: हर कोई उलझा है अपनी ही उलझनों में: सिमरन स्वराज

Har koi ulajha hai: हर कोई उलझा है अपनी ही उलझनों में
ना किसी के जीवन को और उलझाएं
औरों के लिए षड्यंत्र रचने से भला
स्वयं के लिए कुछ बेहतर कर दिखाएं
अपनी समझ और संस्कारों को ना मैला होने दें
अपशब्दों का प्रयोग करने से बेहतर मौन हो जाएं
चोट का उत्तर चोट से ही दें ये जरूरी तो नहीं
स्मरण रहे कि…
इंसानियत ही आपकी वास्तविक परिचय है
सो सही समय आने पर पीड़ा देने
वालों के लिए भी औषधि बन जाएं l

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