Grandmother

जब से होश संभाला, (dadi)तुम्हे सफेद साड़ी में ही देखा था: रेणु तिवारी

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“मेरी दादी”

जब से होश संभाला, तुम्हे सफेद साड़ी में ही देखा था: रेणु तिवारी

“जब से होश संभाला, तुम्हे सफेद साड़ी में ही देखा था
झुर्रियों भरे चेहरे पर इतना रूबाब,मैंने अपनी दादी (dadi) के चेहरे पर ही देखा था
मेरा बचपन बीता यौवन आया पर मैने तुम्हे एक सा देखा था
बात छोटी हो या बड़ी सब पर एक सीख देते देखा था
मुश्किलों में हौसला देती तुम्हारी मुस्कान को बहुत करीब से देखा था
अपने इरादों पर अडिग,और पूरे कुटुम्ब का भार संभालते देखा था
परिवार की पांचों उंगलियों को मुट्ठी मे एक सा बांधे देखा था
उम्र के किसी भी पड़ाव पर पहुंच जाऊं,पर जीवन की राह बतलाती उस मुस्कान को मैने सिर्फ अपनी दादी के चेहरे पर ही देखा था”

रेणु तिवारी “इति” पुणे( महाराष्ट्र)

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