Spiny Pigweed: शक्ति देती है चौलाई की भाजी
Spiny Pigweed: आदिवासियों की मानी जाए तो यह पौधा अत्यंत गुणकारी होने के साथ-साथ शरीर को शक्ति भी प्रदान करता है।
- वानस्पतिक नाम – Amaranthus spinosus कुल- एमारेन्थेसी (Amaranthaceae)
- हिन्दी कटेली चौलाई
- अंग्रेजी-स्पायनी पिगवीड (Spiny Pigweed)
- संस्कृत- तंदुला, बहुवीर्या, भंदी
अहमदाबाद, 23 अप्रैल: Spiny Pigweed: यह एक छोटा एकवर्षीय पौधा है जिसे ग्रामीण अंचलों में भाजी की तरह उपयोग में लाया जाता है। कटेली चौलाई जिसका वानस्पतिक नाम एमारेन्थस स्पाइनोसस है, वास्तव में एक शाक आहार होने के साथ उत्तम औषधि भी है। इसके पाँचाँग में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, खनिज और लौह तत्व प्रचुरता से पाए जाते हैं।
आदिवासियों का मानना है कि गर्भ की स्थिरता के लिए मासिक धर्म के समय चौलाई (Spiny Pigweed) की जड़ को चावल के माँड में पीसकर पिलाने से लाभ होता है। इसकी जड़ों को सर पर बाँधने से बुखार उतर जाता है। अक्सर पेट दर्द की शिकायत रहने पर इसके पाँचाँग का सेवन व भाजी नित्य खाने से अतिशीघ्र फायदा होता है। पातालकोट के आदिवासी घाव, फोड़ों आदि को पकाने के लिए इसकी जड़ों को पानी में पीसकर लेप लगाते हैं और हल्की सिकाई भी करते हैं।
चमड़ी पर जलन या किसी भी तरह के चर्मरोग होने की दशा में चौलाई (Spiny Pigweed) की पत्तियों को पीसकर लेप करने से जलन में आराम मिलता है तथा चर्मरोग दूर भी हो जाता है। स्तन वृद्धि के लिए चौंलाई के पाँचाँग को अरहर या तुअर दाल के साथ पकाकर खिलाना चाहिए। चौलाई का पाँचाँग बवासीर में भी फायदेमंद होता है।
पातालकोट में आदिवासी बच्चों के शारीरिक विकास जल्दी होने के लिए चौलाई की भाजी का सेवन करवाते हैं, साथ ही इसकी पत्तियों के रस का सेवन भी करवाते हैं। इन आदिवासियों की मानी जाए तो यह पौधा अत्यंत गुणकारी होने के साथ-साथ शरीर को शक्ति भी प्रदान करता है।(साभार: आदिवासियों की औषधीय विरासत पुस्तक से )
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