Madar Aak Plant 1301

मदार (आक) के पास हैं कई औषधीय गुण

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  • वानस्पतिक नाम-Calviopis procera (कैलोट्रोपिस प्रोसेरा) कुल- एस्कलेपिएडिसी (Asclepiadaceae)
  • हिन्दी- मदार, आक, अकौना, रूया
  • अंग्रेजी-स्वालो-वर्ट, सोडोम एप्पल, डेड सी एप्पल (Swallow-Wort, Sodom
  • Apple, Dead Sea Apple)
  • संस्कृत- भीनू, रवि, तपना

गलियों और सड़कों के किनारे आक के पौधों को बहुतायत से देखा जा सकता है। इसका वानस्पतिक नाम कैलोट्रोपिस प्रोसेरा है। यह कई औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इसके पत्ते, फूल और फल को भगवान शिव को भी चढ़ाया जाता हैं। ऐसी मान्यता है कि यह पौधा जहरीला होता है और इसकी थोड़ी-सी मात्रा नशा भी पैदा करती है। यह बहुत कम लोग जानते हैं कि इस पौधे से निकलने वाले दूध का उपयोग शारीरिक दर्द भगाने में किया जाता है। पातालकोट के आदिवासियों की माने तो इसका दूध किसी भी प्रकार के दर्द को खींच लेता है। दूध को चोट या घाव के आसपास लगाया जाए तो वह जल्दी ठीक हो जाता है।

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हालाँकि आदिवासियों के अनुसार यदि दूध ठीक घाव के ऊपर लग जाए तो पीड़ित को चक्कर आना या तेज जलन जैसी शिकायतें हो सकती हैं, इसलिए इसे घाव के आसपास की त्वचा पर ही लगाना चाहिए। इस पेड़ की जड़ और छाल को हाथीपांव, कुष्ठरोग और एक्जीमा जैसे रोगों को ठीक करने में उपयोग में लाया जाता है। इसके फूल अस्थमा, बुखार, सर्दी और ट्यूमर के इलाज में उपयोग में लाए जाते हैं। डाँगी आदिवासियों की मानी जाए तो इस पौधे को कृषि भूमि के पास लगाया जाए तो यह भूजल बढ़ाता है और इससे भूमि की उर्वरा शक्ति भी बढ़ती हैं। आदिवासी इसकी जड़ का चूर्ण बनाकर मरीज को देते हैं, जिससे दमा, फेफड़े की बीमारियाँ और कमजोरी दूर होती है।(साभार: आदिवासियों की औषधीय विरासत पुस्तक से )

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