bitter apple 2

इन्द्रायण-करे बालों को काला

आयुर्वेद से आरोग्य

Banner Deepak Acharya 1
  • वानस्पतिक नाम- Citrullus colocynthis (सिट्रोलस कोलोसिन्थिस) कुल- कुकुरबिटेसी (Cucurbitaceae)
  • हिन्दी- इन्द्रायण, मकल
  • अंग्रेजी- कोलोसिन्थ, बिटर एप्पल (Colocynth, Bitter Apple) संस्कृत- इंद्रवरुणी, इंद्राफला, महेन्द्रवरूणी

इन्द्रायण एक बेल है जो भारतवर्ष के रेतीले और पठारी इलाकों में बहुतायत से उगती हुयी पाई जाती है। इन्द्रायण का वानस्पतिक नाम सिट्रोलस कोलोसिन्थिस है। पातालकोट के आदिवासी जानकारों के अनुसार पथरी के उपचार के लिए इन्द्रायण एक उत्तम औषधि है। इन्द्रायण की सूखी जड़ का चूर्ण और सफेद मूसली की जड़ों का चूर्ण समान मात्रा (1-1 ग्राम) में लेकर इसे आधा गिलास पानी में डालकर खूब मिलाया जाए और मरीज को प्रतिदिन सुबह दिया जाए। ऐसा सात दिनों तक लगातार करने से पथरी गल के शरीर से बाहर आ जाती है, इस उपचार के दौरान अश्वगंधा का चूर्ण भी लिया जाए तो ज्यादा बेहतर फायदा होता है। चुटकी भर इन्द्रायण की जड़ के चूर्ण को नाक में दिन में 3 बार डालने से मिर्गी रोग दूर हो जाता है ।

Whatsapp Join Banner Eng

डॉंग- गुजरात के आदिवासी मानते हैं कि इन्द्रायण के बीजों का तेल नारियल के तेल के साथ बराबर मात्रा में लेकर बालों पर लगाने से बाल काले हो जाते हैं। वैसे ये आदिवासी इन्द्रायण के फल से बने तेल को रोजाना 2-3 बार कान में डालने की सलाह भी देते हैं, इससे बहरापन दूर हो जाता है। इन्द्रायण की जड़ों को बेल की पत्तियों के साथ अच्छी तरह से पीसकर प्रतिदिन सुबह शाम महिला को दिया जाए तो उसके गर्भ धारण करने की संभावनाएँ बढ़ जाती है। आदिवासियों के अनुसार यदि महिला का मासिक -धर्म रुका हुआ हो तो उसे इन्द्रायण के बीज (3 ग्राम) और कालीमिर्च (5 दाने) को 200 मिली पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर पिलाया जाए तो रुका हुआ मासिक धर्म दुबारा शुरू हो जाता है। (साभार: आदिवासियों की औषधीय विरासत पुस्तक से )

यह भी पढ़े…..वात रोग में अरबी