Shri Krishna Janmashtami: प्रकृति को वश में कर के अपनी ही शक्ति से जन्म ग्रहण करता हूँ।

“समग्र का सौंदर्य” Shri Krishna Janmashtami: श्रीकृष्ण जितने अलौकिक और विस्मयजनक रूप से विराट हैं वैसे ही सामान्य लोकजीवन में रचे-पगे सरलता और सहजता को स्वीकार करने में भी बेमिसाल … Read More

Teacher Day 2023: अध्यापन कोई कारोबार नहीं हैः गिरीश्वर मिश्र

Teacher Day 2023: आज सामाजिक परिवर्तन विशेषतः प्रौदयोगिकी की तीव्र उपस्थिति ने शिक्षक और शिक्षार्थी के रिश्तों को नए सिरे से परिभाषित कर रहा है Teacher Day 2023: मानव सभ्यता … Read More

मज़बूरी का नाम I.N.D.I.A

“राजनीतिक शतरंज” (I.N.D.I.A) I.N.D.I.A: जिसका मोदी को हटाने के अलावा कोई विज़न ही नहीं है उस विपक्षी महागठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (I.N.D.I.A) की तीसरी बैठक भी समाप्त हो … Read More

Tulsi Jayanti: तुलसी की जीवन दृष्टि: गिरीश्वर मिश्र

Tulsi Jayanti: गोस्वामी जी भौतिक-सामाजिक विश्व तथा आध्यात्मिक जीवन, दोनों को जोड़ते हैं। वस्तुतः उनके यहाँ आध्यात्मिक और भौतिक की स्वतंत्र या निरपेक्ष सत्ता ही नहीं हैं। उनकी राम कथा … Read More

Guru Purnima-2023: तस्मै श्री ग़ुरवे नम: !

 Guru Purnima-2023: ज्ञान की सामर्थ्य देता है गुरु ! गुरु क्लेशों से मुक्त करता है ! गुरु का स्थान ईश्वर से ऊँचा है! देश की सांस्कृतिक परम्परा में व्यक्ति और … Read More

Enviroment Day 2023: पर्यावरण ही जीवन का स्रोत है: गिरीश्वर मिश्र

Enviroment Day 2023: शिव पशुपति और पार्थिव हैं तो गणेश गजानन हैं। सीता जी पृथ्वी माता से निकली हैं । द्रौपदी यज्ञ की अग्नि से उपजी ‘याज्ञसेनी’ हैं । वैसे … Read More

Kabir Jayanti-2023: सहज-सहज सब कोउ कहै, सहज न चीन्है कोई !

Kabir Jayanti-2023: “कबीर जयंती“ कबीर के माध्यम से हम अपने समय को ठीक से पहचान सकते हैं। कबीर कभी बड़े आसान लगते हैं तो कभी बड़े मुश्किल । हिंदी के … Read More

Satahi Politics: सतही राजनीति और जनाकांक्षाओं की कसौटी: गिरीश्वर मिश्र

Satahi Politics: भारत की जनता में सहते रहने की अदम्य शक्ति है और वह सबको अवसर देती है कि वे अपने वादों और दायित्वों के प्रति सजग रहें परंतु जनप्रतिनिधि … Read More

भाषा, विश्वसनीयता और राजनैतिक साख (Language credibility and political credibility)

 Language credibility and political credibilityअक्सर कहा जाता है कि यह संसार शब्दात्मक है । इस अर्थ में यह सही है कि मानव व्यवहार के निजी और सामाजिक दायरों में आने … Read More

Buddha Purnima: जीवन सत्य का धर्म

पूजा और प्रशस्ति के बीच बुद्ध की प्रखर चिंतन प्रक्रिया ओझल या सरलीकृत हो जाती है । उनकी चिंतन प्रक्रिया कोरे वाग्विलास की जगह व्यावहारिक समाधान की ओर उन्मुख थी। … Read More