Yamuna river cleaning project: यमुना को प्रदूषित करने वाले नाले यदि साफ हो जाएं तो यमुना अपने आप साफ हो जाएगी: सत्येंद्र जैन
Yamuna river cleaning project: यमुना की सफाई को लेकर गंभीर केजरीवाल सरकार, प्रमुख नालों पर बने चेक डैम से प्रदूषण स्तर में आई भारी गिरावट
- Yamuna river cleaning project: अस्थाई बांधों का निर्माण, यमुना में गिरने वाले दूषित नालों में प्रदूषकों की मात्रा को कम करने में एक प्रभावशाली तरीका हो रहा साबित
नई दिल्ली, 27 फरवरी: Yamuna river cleaning project: केजरीवाल सरकार दिल्ली में यमुना नदी की सफाई के लिए प्रतिबद्ध है। किसी भी बड़ी नदी को साफ करने के लिए उसके श्रोतों को साफ करना जरूरी होता है। ठीक इसी तर्ज़ पर, यमुना में गिरने वाले सभी गंदे नालों की सफाई का बेड़ा दिल्ली सरकार ने उठाया है। नालों के पानी की गुणवत्ता में सुधार की दिशा में कई कदम उठाए गए हैं। जल मंत्री सत्येंद्र जैन द्वारा शुरू की गई परियोजना के सकारात्मक परिणाम अब दिखने शुरू हो गए हैं। प्रमुख नालों पर बनाए गए अस्थायी बांधों के कारण अब नालों के बी.ओ.डी. स्तर में सुधार आया है। साथ ही अन्य प्रदूषकों की मात्रा को कम करने में काफी मदद मिली है।
Yamuna river cleaning project: यमुना को स्वच्छ करने की दिशा में चल रही गतिविधियों के अनुरूप, दिल्ली सरकार का सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग, यमुना के सबसे बड़े प्रदूषक यानी नजफगढ़ ड्रेन और सप्लीमेंट्री ड्रेन के उपचार के लिए अपनी योजनाओं को क्रियान्वित कर रहा है। इस योजना के तहत, नालों के जरिये यमुना के प्रदूषित होने की समस्या के समाधान पर काम किया जा रहा है। सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग (आई.एफ.सी.डी.) मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि यमुना को प्रदूषित करने वाले नालों की सफाई होते ही यमुना अपने आप साफ होने लगेगी। यमुना में मिलने वाले दूषित नालों में प्रदूषकों की मात्रा को कम करने के लिए अस्थाई बांधों का निर्माण एक प्रभावशाली तरीका साबित हो रहा है।
इस परियोजना के तहत, दिल्ली सरकार ने नजफगढ़ ड्रेन और सप्लीमेंट्री ड्रेन के पानी की गुणवत्ता में सुधार लाने के काम की शुरुआत कर दी है। इस पहल में नजफगढ़ ड्रेन – जो यमुना में गिरने से पहले लगभग 57 किमी चलती है और सप्लीमेंट्री ड्रेन, जो ककरौला रेगुलेटर के पास से निकलती है और नजफगढ़ नाले में गिरती है, दोनों को साफ किया जाएगा। इसके लिए इन नालों के रास्ते में छोटे-छोटे अस्थायी बांध बनाए गए हैं।
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एक अस्थाई बांध या मेड़, जो नालों पर बना छोटा अवरोध होता है और यह जल स्तर को ऊपर की तरफ थोड़ा और उठाने में मदद करता है। बांध पानी को अपने पीछे जमा होने देते हैं। बहते पानी के अवरोध को बढ़ाने के लिए नाले के बीच-प्रवाह में बांध बनाए जाते हैं। इससे भारी प्रदूषक वहीं नीचे रुक जाते हैं और पानी धीरे-धीरे निकाल जाता है।
वर्तमान में, दिल्लीजल बोर्ड (डी.जे.बी.) अपने इंटरसेप्टर सीवर प्रोजेक्ट (आई.एस.पी.) के माध्यम से नजफगढ़ के साथ-साथ सप्लीमेंट्री ड्रेन के अपशिष्ट जल का उपचार करता है।
इसके अलावा, सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग द्वारा और भी कई कदम उठाए जा रहे हैं, जिनमे मुख्य रूप से नालियों की गाद निकालना, अपशिष्ट अवरोधों की स्थापना, तैरते ठोस पदार्थों को निकालने के लिए फ्लोटिंग बूम का इस्तेमाल, ठोस अपशिष्ट और निर्माण कार्यों से निकले अपशिष्टों को नाले से हटाना, कचरा और अन्य खरपतवार हटाना, नाली की भूमि में डंपिंग को रोकने के लिए चारदीवारी की मरम्मत करना, पुलों पर तार की जाली का निर्माण, चेतावनी बोर्ड की स्थापना और इनलेट्स जाली को नाली के मुंह लगाना शामिल है।
इस परियोजना के तहत सप्लीमेंट्री ड्रेन पर 11 व नजफगढ़ ड्रेन पर 3 बांध का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है, जबकि 10 बांध का कार्य प्रगति पर है। हाल ही में निर्मित बांधों ने सकारात्मक परिणाम दिखाना शुरू कर दिया है और इसलिए आने वाले समय में इस परियोजना की सफल होने संभावना बढ़ती जा रही है।
उपरोक्त उपायों को लागू करने के बाद, सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग ने इन उपायों के प्रभाव के बारे में एक परीक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत की।
इस रिपोर्ट को बनाने के लिए रिठाला एसटीपी, रोहिणी सेक्टर 11 के पास बने बांध, रोहिणी सेक्टर 16 में बने बांध और रोहिणी सेक्टर 15 में बने बांध के पास से सेंपल एकत्रित किए गए, जिससे पता लगा की-
1. अस्थाई बांध-निर्माण के बाद सस्पेंडेड ठोस पदार्थों में भारी कमी आई है। रिठाला से रोहिणी सेक्टर 15 के बीच कुल सस्पेंडेड ठोस पदार्थ का स्तर 166 मिलीग्राम प्रति लीटर से घटकर केवल 49 मिलीग्राम प्रति लीटर रह गया है।
2. यह परिणाम अपशिष्ट जल में अमोनिया की मात्रा में आने वाली भारी कमी को भी दर्शाता हैं। परीक्षण में पाया गया कि रिठाला में अमोनिया का स्तर 26 मिलीग्राम प्रति लीटर था जो रोहिणी सेक्टर 15 तक आते आते मात्र 18 मिलीग्राम प्रति लीटर रह गया।
3. प्रत्येक बांध से गुजरने के बाद गंदे पानी में जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग (बीओडी) का स्तर धीरे-धीरे कम होता हुआ नज़र आया। परीक्षण में दर्ज बीओडी का स्तर रिठाला एसटीपी के पास 83 मिलीग्राम प्रति लीटर था, जो रोहिणी सेक्टर 15 तक आते आते घटकर 27 मिलीग्राम प्रति लीटर रह गया।
इस प्रक्रिया को प्रशासनिक स्तर पर तेज़ी और यमुना सफाई के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए, बेहतर समन्वय और एकीकृत दृष्टिकोण सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निर्देशन में पिछले साल नवंबर में यमुना सफाई सेल (वाई.सी.सी.) का गठन किया गया था। यमुना सफाई कार्य योजना के क्रियान्वयन के लिए यह सेल जिम्मेदार है। इस सेल द्वारा लिए गए निर्णय पर संबंधित विभागों के सदस्यों को समयबद्ध तरीके से कार्रवाई सुनिश्चित करने के आदेश दिये गए हैं।