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Teachers expressed pain in the public hearing of DUTA: डूटा की जन सुनवाई में शिक्षकों ने किया दर्द बयां; अमानवीय रवैया अपना रही है दिल्‍ली सरकार

Teachers expressed pain in the public hearing of DUTA: आर्थिक संकट से ग्रस्त दिल्‍ली सरकार द्वारा वित्तपोषित 12 कॉलेज

  • वेतन के अधिकार से दिल्‍ली सरकार कर रही है वंचित
  • संसद सदस्य प्रो.राकेश सिन्हा, प्रो. मनोज झा व रवनीत बिट्टू सहित कानून व शिक्षा के क्षेत्र से जुडे प्रतिष्ठित विद्वानों ने रखे विचार

दिल्ली, 07 जनवरी: दिल्‍ली विश्वविद्यालय से सम्बद आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली दिल्‍ली सरकार द्वारा वित्तपोषित 12 कॉलेजों आर्थिक संकट से ग्रस्त है। शिक्षकों, कर्मचारियों के वेतन के साथ-साथ यह कॉलेज पिछले दो वर्षों से चिकित्सा बिलों, विभिन्‍न भत्ते, सातवें वेतन आयोग के लागू होने के बाद देय बकाया भुगतान राशि सहित अन्य बकाया राशि का भुगतान कर पाने मैं असमर्थ हैं। कॉलेजों की इस दुर्दशा के लिए जिम्मेदार केजरीवाल सरकार के खिलाफ वीरवार को एक दिवसीय हड़ताल के बाद दिल्‍ली विश्वविद्यात्रय शिक्षक संघ (डूटा) के नेतृत्व में शुक्रवार को ऑनलाइन जन सुनवाई का आयोजन किया गया।

इस आयोजन में प्रमुख रूप से संसद सदस्य प्रो. मनोज झा, रवनीत बिड्डू, दिल्‍ली विश्वविद्यालय कार्यकारी परिषद्‌ के सदस्य व अधिवक्ता अशोक अग्रवाल, मोनिका अरोड़ा, राजपाल, आर्यभट्ट कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो.गमनोज सिंहा और दिल्‍ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता भी सम्मिल्रित हुए।

Teachers expressed pain in the public hearing of DUTA

बोले शिक्षक तो झलका दर्द, खून के आंसू रो रहे है कर्मचारी

डॉ. पार्थसारथी, महाराजा अग्रसेन कॉलेज: कोरोना कात्र में जिस तरह की स्थितियां बनी हुई है उसमें जुलाई 202। के बाद से यदि कॉलेज कर्मचारियों को वेतन प्रदान नहीं किया जाए तो आप सोच सकते हैं कि इससे ग्रस्त शिक्षक व कर्मचारी और उनके परिवार जन खून के आंसू रो रहे हैं। मेडिकल के बिल इतने लंबे समय से लंबित है कि अब अस्पतालों ने पंजीकृत होने के बाद भी सेवाएं देने से इंकार करना शुरू कर दिया है। दिल्‍ली सरकार का यह मॉडल शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त करने वाला है।

प्रो.हेमचंद जैन, प्राचार्य, दीन दयात्र उपाध्याय कॉलेज: अनैतिक ढ़ग से कॉलेज का नियंत्रण लेने में जुटी है सरकार कॉलेज की हालत इस हद तक गंभीर है कि आज हम वेतन तो दूर बिजली -पानी के बिलों का भुगतान तक कर पाने में असमर्थ है। यह हालत उस कॉलेज की है जोकि एनआईआरएफ की रैकिंग में ।3वें स्थान पर आता है। हमारी जरूरत के अनुरूप सरकार अनुदान जारी नहीं कर रही है। सहायक आचार्यों की स्थिति यह है कि उनके पास आज इलाज के लिए, घर के राशन के लिए पैसे तक नहीं है।

डॉ. सुजीत कुमार, डॉ.भीमराव अंबेडकर कॉलेज:
कोरोना के इलाज में खर्च हुए 3 लाख, मिला नहीं एक रूपया
कोरोना की दूसरी वेब में मैं कोरोना की चपेट में आया और अपनी सारी जमा पूंजी जोकि 3 से 4 लाख रूपये के आसपास थी, इलाज मैं खर्च हो गई। यह बड़ी विडंबना है कि इस राशि का भुगतान तो दूर सरकार ने नियमित वेतन भी रोक लिया है। आज हमारी और हमारे परिवार की आर्थिक हालत बेहद खराब है और ऐसे में जीवन जीना भी दूभर हो गया हैं। विश्वविद्यालय इन कॉलेजों को दिल्‍ली सरकार से वापस लेकर अपने अधिकार में ले ले तो ही बेहतर है।

डॉ.ममता, कमला नेहरू कॉलेज:
अमानवीय रवैया अपना रही है दिल्‍ली सरकार
दिल्‍ली सरकार से वित्तपोषित कॉलेजों में महीनों का वेतन रोककर जिस तरह का अमानवीय रवैया अपना रही है वो बेहद निंदनीय है। आज शिक्षक अपनी जरूरतों के लिए पाई पाई को मोहताज है। अब स्थिति बर्दाश्त से बाहर हो गई और समय आ गया है कि सड़क पर उतरकर इसके विरूद्ध डूटा के माध्यम से आवाज बुलंद की जाए।

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डूटा अध्यक्ष प्रोफसर अजय कुमार भागी ने बताया कि डूटा पदाधिकारियों के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम का उच्देश्य वस्तुस्थिति से आमजन को अवगत कराना था। उन्होंने बताया कि दिल्‍ली की केजरीवाल सरकार जिस से कोरोना संकट के समय में शिक्षकों व कर्मचारियों के प्रति अमानवीय रवैया अपनाए हुए है वो किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है। डूटा अध्यक्ष ने कहा कि अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए इन 12 कॉलेजों की स्वायत्ता का लगातार हनन कर रही है।

प्रो.भागी ने कहा कि वीरवार को डूटा की हड़ताल के बाद सरकार की ओर से जिस तरह से तथ्यों के माध्यम से गुमराह करने की कोशिश की गई वह सभी के सामने है। प्रोफेसर भागी ने कहा कि सरकार कह रही है कि हमने अनुदान जारी किया है जबकि स्थिति सभी के समझ स्पष्ट है। जो फंड जारी करने की बात सरकार कर रही है वो नाकाफी है केजरीवाल सरकार ने इन कॉलेजों में स्वयंपोषित मोड में लाने और इनका नियंत्रण अपने हाथ में लेने के लिए अनावश्यक फंड कट त्रगाया है जोकि अस्वीकार्य है। आज भी दिल्‍ली सरकार से अनुदान प्राप्त 12 कॉलेजों में शिक्षकों कर्मचारियों के दो से चार माह के वेतन लंबित है और अन्य भुगतान चिकित्सा बिलों, विभिन्‍न भत्ते व पेंशन आदि पिछले दो-दो सात्र से त्रटके पडे हैं।

दिल्‍ली सरकार निरंतर इन कॉलेजों को आर्थिक रूप से बीमार बनाने में जुटी है जोकि स्वीकार नहीं किया जाएगा और जब तक इस विषय का निदान नहीं होगा, डूटा का संघर्ष जारी रहेगा। प्रो. भागी ने कहा कि जनसुनवाई में जिस तरह से शिक्षकों ने अपने दर्द को बयां किया है उससे स्पष्ट हो गया है कि केजरीवाल सरकार जनता को गुमराह कर रही है और शिक्षक-कर्मचारी व उनके परिवारजन कोरोना कॉल में नियमित वेतन न मिलने से अपनी दैनिक जरूरतों की पूर्ति कर पाने में समर्थ नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अब पानी सिर से उपर जा चुका है और यह संघर्ष अब समस्या के निदान सुनिश्चित होने तक निरंतर जारी रहेगा। कार्यकारी परिषद्‌ की सदस्य व सर्वोच्च नयायात्रय में वरिष्ठ अधिवक्ता मोनिका अरोड़ा ने अपने संबोधन कहा कि दिल्‍ली सरकार का यह रवैया पूरी तरह से अन्यायपूर्ण है और मानवाधिकारों का उल्लंघन है।

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उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि इस विषय का निदान पूर्णतया सुनिश्चित किया जाए जिसमें वे हर संभव सहयोग के लिए तत्पर है दिल्‍ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने अपने संबोधन में कहा कि वो इस मामले में शिक्षक, कर्मचारियों व उनके परिवारजनों के साथ है और इस मामले को उपराज्यपात्र के समक्ष उठायेंगे। आदेश गुप्ता ने इस मामले में डूटा के हर एक्शन प्लान में सहयोग का भी भरोसा दिलाया। कार्यकारी परिषद्‌ के सदस्य राजपाल ने कहा कि वो इस स्थिति से पूरी तरह से अवगत है और स्वयं उनसे ही एक शिक्षक ने अध्यापन छोड़कर ड्राइवर की नौकरी दिलाने का अग्रह किया। राजपाल ने कहा कि यह दिल्‍ली सरकार के वर्ल्ड क्लास शिक्षा के मॉडल का असली चेहरा है।

संसद सदस्य, प्रो. मनोज झा ने इस अवसर पर कहा कि डूटा के नेतृत्व को इस समस्या के समाधान के लिए अब एक निर्धारित एक्शन प्लान तैयार कर प्रयास करने की जरूरत है। मैं इस प्रयास में संसद से सड़क तक शिक्षकों के साथ हूं। संसद सदस्य रवनीत बिड्टू ने शिक्षकों को वेतन न दिए जाने को लेकर चिंता व्यक्त की और कहा कि अवश्य ही वो इस बात को संसद के पटल पर खखेंगे। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार का व्यवहार शिक्षकों-कर्मचारियों के प्रति अमानवीय है और यह स्थिति चिंताशजनक है।

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दिल्‍ली विश्वविद्यात्रय कार्यकारी परिषद्‌ के सदस्य व अधिवक्ता अशोक अग्रवात्र ने अपने संबोधन में शिक्षकों व कर्मचारियों को वेतन न दिए जाने को जीविकापार्जन के अधिकार के विरूद्ध बताया। उन्होंने कहा कि वह डूटा के साथ है और न्यायालय के स्तर पर भी इस विषय में किसी तरह के सहयोग की आवश्यकता होगी तो वह इसके लिए तैयार है।

प्रिसिंपल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. जसविंदर सिंह ने कहा कि अब समस्‍या के जल्द समाधान की जरूरत है और इसके लिए हरसंभव प्रयास में हम साथ है। आर्यभट्ट कॉलेज के प्रिंसिपत्र प्रोम्मनोज सिंहा ने कहा कि अब शिक्षक इस विषय में सही मायने में असल लड़ाई के लिए तैयार नजर आ रही है। इस लड़ाई में हम शिक्षकों के साथ है। इस मौके पर विश्वविद्यालय से जुडे राजेश गोगना ने कहा कि जिस तरह की हालत 2 कॉलेजों के संदर्भ में देखने को मित्र रहा है उससे ऐसा प्रतीत होता है दिल्‍ली सरकार इस विषय में सुनवाई को ही तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि संविधान में कहा गया है कि सरकार एक मॉडल एम्पल्रायर है जोकि वेतन देने से बच नहीं सकती है और इसके लिए जारी डूटा के संघर्ष में हर संभव सहयोग के लिए मैं तैयार हूं।

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