PM kashi vishwanath corridor inauguration: काशी विश्वनाथ कॉरिडोर लोकार्पण पर जानें क्या बोले प्रधानमंत्री

PM kashi vishwanath corridor inauguration: जहां गंगा अपनी धारा बदलकर बहती हो, उस काशी को भला कौन रोक सकता हैः पीएम मोदी

नई दिल्ली, 13 दिसंबरः PM kashi vishwanath corridor inauguration: 700 करोड़ की लागत से 33 महीने में तैयार हुए काशी विश्वनाथ धाम का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकार्पण कर दिया हैं। इसके साथ ही अब यह आम लोगों के लिए भी खोल दिया जाएगा। इस दौरान पीएम ने काशी वासियों को संबोधित किया। पीएम ने हर-हर-महादेव, नमःपार्वती पतये हर हर महादेव के साथ अपने संबोधन की शुरूआत की।

PM kashi vishwanath corridor inauguration:  पीएम ने कहा कि काशी के सभी बंधुओं के साथ बाबा विश्वनाथ के चरणों में हम नमन करते हैं। हमारे पुराणों में कहा गया है कि जैसे ही कोई काशी में प्रवेश करता है, सारे बंधनों से आजाद हो जाता है, ‘काशी तो अव‍िनाशी है, यहां एक ही सरकार है, जि‍नके हाथ में डमरू है उनकी सरकार है, जहां गंगा अपनी धारा बदलकर बहती हो, उस काशी को भला कौन रोक सकता है।

PM Modi CM Yogi welcome
PM-CM Yogi Varanasi

मैं आज हर उस श्रमिक भाई-बहनों का भी आभार व्यक्त करना चाहता हूं जिनका पसीना इस भव्य परिसर के निर्माण में बहा है। कोरोना के इस विपरित काल में भी उन्होंने यहां पर काम रुकने नहीं दिया,हमारे कारीगर, हमारे सिविल इंजीनयरिंग से जुड़े लोग, प्रशासन के लोग, वो परिवार जिनके यहां घर थे सभी का मैं अभिनंदन करता हूं।

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उन्होंने कहा कि आतातायियों ने इस नगरी पर आक्रमण किए, इसे ध्वस्त करने के प्रयास किए। औरंगजेब के अत्याचार, उसके आतंक का इतिहास साक्षी है। जिसने सभ्यता को तलवार के बल पर बदलने की कोशिश की, जिसने संस्कृति को कट्टरता से कुचलने की कोशिश की। लेकिन इस देश की मिट्टी बाकी दुनिया से कुछ अलग है,यहाँ अगर औरंगजेब आता है तो शिवाजी भी उठ खड़े होते हैं। अगर कोई सालार मसूद इधर बढ़ता है तो राजा सुहेलदेव जैसे वीर योद्धा उसे हमारी एकता की ताकत का अहसास करा देते हैं।

पीएम ने आगे कहा कि काशी शब्दों का विषय नहीं है, संवेदनाओं की सृष्टि है। काशी वो है- जहां जागृति ही जीवन है! काशी वो है- जहां मृत्यु भी मंगल है! काशी वो है- जहां सत्य ही संस्कार है! काशी वो है- जहां प्रेम ही परंपरा है। यहीं की धरती सारनाथ में भगवान बुद्ध का बोध संसार के लिए प्रकट हुआ। समाजसुधार के लिए कबीरदास जैसे मनीषी यहाँ प्रकट हुए। बनारस वो नगर है जहां से जगद्गुरू शंकराचार्य को श्रीडोम राजा की पवित्रता से प्रेरणा मिली, उन्होंने देश को एकता के सूत्र में बांधने का संकल्प लिया।

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