Chakravarti Ganapati Navad passed away

Chakravarti Ganapati Navad passed away: हिंदी पत्रकारिता के शिखर पुरुष संपादक चक्रवर्ती गणपति नावड़ का निधन

Chakravarti Ganapati Navad passed away: दैनिक आज वाराणसी के स्थानीय संपादक गणपति नावड का 85 वर्ष की अवस्था मे, गाय घाट स्थित उनके आवास पर शरीर शांत हुआ

मणिकर्णिका घाट पर हुए अंतिम संस्कार मे मुखग्नि पुत्र चक्रवर्ती विजय नावड ने दिया. प्रदेश के आयुष मंत्री डॉ दया शंकर मिश्र दयालु सहित समाज के हर वर्ग के विशिष्ट जनो ने संपादक जी को अर्पित किया पुष्पांजलि

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रिपोर्ट: डॉ राम शंकर सिंह
वाराणसी, 03 अप्रैल:
Chakravarti Ganapati Navad passed away: हिंदी पत्रकारिता के ऋषि पत्रकार, मिशन वाली पत्रकारिता के मजबूत स्तम्भ, दैनिक ‘आज’ (वाराणसी) के स्थानीय सम्पादक, चक्रवर्ती गणपति नावड़ जी का बीती देर रात बनारस में गायघाट स्थित आवास पर, 85 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. रविवार को अंतिम संस्कार, वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर हुआ, जहां आपके सुपुत्र, चक्रवर्ती विजय नावड़ ने मुखाग्नि दी.

उत्तर प्रदेश सरकार के आयुष मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), डॉ. दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’, श्री नारायण कृष्ण भागवत, श्री अशोक नेने, एस.बी. दुर्गोत्सव समिति के कोषाध्यक्ष लखन शर्मा, राज मंदिर के पूर्व पार्षद घनश्याम सिंह, डॉ. सुनीता डोंगरे, वरिष्ठ छायाकार चंद्रशेखर अग्रवाल आदि ने घर पहुँच कर अपनी श्रद्धांजलि दी.

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मणिकर्णिका घाट पर श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में पं. गणपति शास्त्री द्रविड़ (पद्मश्री), वैदिक विद्वान पं. चंद्रशेखर घनपाठी, श्रीकुल पीठाधीश्वर डॉ. सचिंद्रनाथ जी महाराज, शीतला मंदिर के महंत पं. अवशेष पांडे ‘कल्लू महाराज’, सी.ए. मनोज श्रीवास्तव, एल.आई.सी. कर्मचारी संघ के अध्यक्ष नारायण चटर्जी, काशी पत्रकार संघ के अध्यक्ष डॉ. अत्रि भारद्वाज, काशी पत्रकार संघ के पूर्व अध्यक्ष प्रदीप कुमार, विकास पाठक, योगेश गुप्ता, इंडियन एसोसिएशन ऑफ जर्नलिस्ट के अध्यक्ष डॉ. कैलाश सिंह विकास, वाराणसी प्रेस क्लब के महामंत्री पंकज त्रिपाठी और ‘सत्या फाउंडेशन’ के संस्थापक सचिव चेतन उपाध्याय आदि प्रमुख थे.

आज’ अखबार को दिये अपने जीवन के अंतिम 53 वर्ष
वर्ष 1972 में प्रो. राम मोहन पाठक के कहने पर आपने ‘आज’ समाचार पत्र में नौकरी शुरू की. इसके बाद बहुत सारे बड़े अखबारों से उन्हें ज्यादा सैलरी और सुविधाओं का ऑफर मिला मगर आपने ‘आज’ में ही अपनी सेवा जारी रखी. सेवानिवृत्ति के पश्चात भी ‘आज’ के प्रबंध निदेशक शार्दुल विक्रम गुप्त के विशेष आग्रह पर आपने बतौर, स्थानीय संपादक अपनी सेवाएं जारी रखीं और जीवन की अंतिम सांस तक पत्रकारिता के माध्यम से राष्ट्र निर्माण के यज्ञ में अपनी आहुति देते रहे.

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