paradip port trust

Chairman of paradip port trust: पी एल हरनाध ने पारादीप पोर्ट ट्रस्ट के अध्यक्ष का पदभार संभाला

Chairman of paradip port trust: हरनाध ने वर्ष 2015 से 2020 तक विशाखापत्तनम बंदरगाह के उपाध्यक्ष का पद भी संभाला है

नई दिल्ली, 07 अक्टूबरः Chairman of paradip port trust: पी.एल. हरनाध ने आज पारादीप पोर्ट ट्रस्ट (पीपीटी) के अध्यक्ष का पद संभाल लिया है। वे 1994 बैच के एक आईआरटीएस अधिकारी हैं और उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा, नई दिल्ली से एमएससी तथा पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है। हरनाध ने अपने 27 वर्ष के सेवाकाल के दौरान, भारतीय रेलवे में 22 साल और 5 वर्ष जहाजरानी मंत्रालय में काम किया है।

Chairman of paradip port trust: हरनाध ने अपने वर्तमान कार्यकाल के दौरान पारादीप पोर्ट ट्रस्ट को देश का नंबर एक और प्रमुख बंदरगाह बनाने पर जोर दिया है। उन्होंने मिशन को साकार करने के लिए कर्मचारियों, यूनियनों, ग्राहकों, बंदरगाह के उपयोगकर्ताओं, स्टीवडोर्स, स्टीमर एजेंट, सरकारी मशीनरी आदि जैसे सभी हितधारकों से ईमानदारी से सहयोग का अनुरोध किया है। हरनाध ने पीपीटी में विभिन्न आगामी परियोजनाओं को पूरा करने को प्राथमिकता देने पर जोर दिया, जिसमें अति महत्वाकांक्षी पश्चिमी डॉक परियोजना भी शामिल है।

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हरनाध ने इससे पहले रायपुर मंडल और चक्रधरपुर मंडल के वरिष्ठ मंडल संचालन प्रबंधक के रूप में कार्य किया है। उन्होंने दक्षिण पूर्व रेलवे और दक्षिण मध्य रेलवे के उप मुख्य परिचालन प्रबंधक तथा पूर्व तटीय रेलवे के मुख्य परिचालन प्रबंधक (विपणन) के तौर पर भी अपनी सेवाएं दी हैं। पीपीटी को संभालने से पहले वह पूर्व तटीय रेलवे के मुख्य माल परिवहन प्रबंधक के रूप में कार्यरत थे। उन्हें रेल परिवहन, विशेष रूप से माल ढुलाई, व्यवसाय विकास और यातायात योजना में समृद्ध अनुभव है।

उनके द्वारा किये गये कई सराहनीय कार्यों की प्रशंसा में उन्हें वर्ष 2002 और 2005 में रेल मंत्रालय की ओर से उत्कृष्ट प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया गया। हरनाध ने वर्ष 2015 से 2020 तक विशाखापत्तनम बंदरगाह के उपाध्यक्ष का पद भी संभाला है। उन्होंने कोयला, कंटेनर आदि की तरह कार्गो के लिए आकर्षित करने हेतु ग्राहकों को कुल रसद समाधान जैसे नवीन विपणन समाधान विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने विशाखापत्तनम बंदरगाह के समग्र विकास में योगदान दिया और यह प्रमुख बंदरगाहों में तीसरे स्थान पर पहुंच गया।

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