Azadi ka amrut mahotsav: मनसुख मंडाविया ने रसायन और उर्वरक मंत्रालय के ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के प्रतिष्ठित सप्ताह समारोह का उद्घाटन किया
Azadi ka amrut mahotsav: “भारत को सही मायने में विश्व की फार्मेसी कहा जाता है; यह जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा निर्माता है”
नई दिल्ली, 04 अक्टूबरः Azadi ka amrut mahotsav: केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख मंडाविया ने आज रसायन और उर्वरक मंत्रालय के लिए आजादी का अमृत महोत्सव के प्रतिष्ठित सप्ताह समारोह का उद्घाटन किया। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (एनआईपीईआर), एसएएस नगर, पंजाब प्रतिष्ठित सप्ताह समारोह के हिस्से के रूप में व्याख्यान श्रृंखला, संगोष्ठी और प्रदर्शनियों सहित एक सप्ताह तक चलने वाली गतिविधियों का आयोजन कर रहा है।
आइकोनिक सप्ताह का उद्घाटन करते हुए मंडाविया ने कहा कि भारत को सही मायने में विश्व का औषधालय कहा जाता है। भारत जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा निर्माता है। भारत दुनिया के कई देशों को जेनेरिक दवाओं का निर्यात भी कर रहा है। उन्होंने कहा कि एनआईपीईआर ने भारत में फार्मा उद्योगों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि उनका पाठ्यक्रम और अनुसंधान उद्योगों की आवश्यकता के अनुरूप होना चाहिए और उन्हें एमएसएमई को नवीन समाधान प्रदान करने चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि एनआईपीईआर को देश में शुरू किए जा रहे चिकित्सा उपकरण पार्कों के साथ भी सहयोग करना चाहिए।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि आज जब हम अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं तो फार्मास्युटिकल विभाग और एनआईपीईआर को अगले 25 साल के लिए रोडमैप के बारे में सोचना चाहिए। आज हम सक्रिय दवा सामग्री (एपीआई) के लिए आयात पर निर्भर हैं। भारत में दवाओं के बहुत कम पेटेंट हैं। यह आने वाले 25 वर्षों में बदलना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें इस क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास करना चाहिए।
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मंडाविया ने कहा कि भारत ने रिकॉर्ड समय में कोविड-19 के टीके विकसित कर यह दिखाया है कि भारत में दिमाग और जनशक्ति की कोई कमी नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने पीएम गरीब कल्याण पैकेज के तहत वैक्सीन अनुसंधान के लिए 9000 करोड़ रुपये आवंटित करके हमारे वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की क्षमताओं पर भरोसा किया। भारत के प्रमुख चिकित्सा अनुसंधान संगठन, आईसीएमआर ने कोवैक्सिन के विकास में भागीदारी की है।
उन्होंने कहा कि इसी तरह अन्य अनुसंधान और शैक्षणिक संस्थानों को भी उद्योगों के साथ सहयोग करना चाहिए। एस अपर्णा, सचिव, फार्मास्यूटिकल्स विभाग, एनआईपीईआर शीर्ष परिषद अध्यक्ष, प्रो. दुलाल पांडा, निदेशक, एनआईपीईआर एसएएस नगर और रसायन और उर्वरक मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।