Happy Makar Sankranti: बंधी डोर और उड़ी पतंग, लेकर के दिल में नई उमंग
!! उड़े खुले आसमान में पतंग !! (Happy Makar Sankranti)
बंधी डोर और उड़ी पतंग
लेकर के दिल में नई उमंग
गाए प्रीत के हिल मिल गीत
सजनी चली सजना के संग
होकर के मौला मस्त मलंग
उड़े खुले आसमान में पतंग…! कोई काटे कोई दूर उड़ाए
देख पतंग सबके मन हर्षाए
रंग बिरंगी नाचें आसमान में
देखने बालों के मन भाए
जगी प्रीत की इक नई उमंग
उड़े खुले आसमान में पतंग…!पतंग संदेशा देकर के जाती
काटते अपने ही अपनों को
झूठ को छोड़ सच को मानो
देखना सिर्फ वही सपनों को
चरखी की भी एक कहानी
लड़े आखिरी सांस तक जंग
उड़े खुले आसमान में पतंग…! थामें सजनी सजना की बाहें
निहारे एक तक भरती आहें
एक दूजे की आंखों में खोए
जिन्दगी साथ बिताना चाहें
मखमली हो या पथरीली राहें
चाहें चलना ‘ओजस’ के संग
उड़े खुले आसमान में पतंग…!
मकर संक्रांति पर्व की आप सभी को ढेरों शुभकामनाएं