Renu tiwari

Story of life: ज़िंदगी ना जाने कहां कहां से होकर गुज़र गई

~~ज़िंदगी~~

ज़िंदगी ना जाने कहां कहां से होकर गुज़र गई
हम देखते ही रहे और वो हाथ से फिसल गई
रोज की कश्मकश में इतने रंग बदले की खुद को ही भूल गई
ये ज़िंदगी तू खेल खेलने में मुझे इतना माहिर कर गई,
एक वजीर को बचाने के लिए न जाने कितने प्यादे मैं शहिद कर गई
यूं बेगरत की तरह जीना मंजूर नहीं,अब मैं तेरे तीखे इशारे पहचान गई
चलना है तो अब थोड़ा मेरे कायदे से चल,तेरे दिए जख्मों से अब मैं थक गई
बंद कर दिया अश्कों को बहाना मैंने,
ये जिन्दगी तुझे मेरी हंसी से इल्म है इतना समझ गई
आ आज दो दो हाथ करते है तू दे सके उतने गम देना,मैं भी मुस्कुराहट की वजह बन गई.

✍️ रेणु तिवारी “इति”,पुणे

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