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Hardik Patel: गुजरात में जातिगत राजनीति का हावी होना, गुजरात एवं लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं: हार्दिक पटेल

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गुजरात में जातिगत राजनीति…….

Hardik Patel: गुजरात में भाजपा द्वारा किसी क्षेत्र में पाटीदारों के खिलाफ अन्य जातियों को लामबंद किया गया, तो कहीं ठाकोर, कोली और चौधरी पटेल के खिलाफ अन्य जातियों को और दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि भाजपा यह करके चुनावी सफलताएं भी प्राप्त कर रही हैं। गुजरात में तो भाजपा सरकार के एक बड़े मंत्री अपने विभाग की सभी पोस्टिंग इस समय सिर्फ अपनी जाति के लोगों की ही कर रहे हैं।

हार्दिक पटेल, कार्यकारी अध्यक्ष, गुजरात कांग्रेस

जातिगत राजनीति गुजरात सहित भारत के हर राज्य की सच्चाई है, हम इससे दूर नहीं भाग सकते ! लेकिन यदि यह इतनी ज्यादा हावी हो जाये कि व्यक्ति की योग्यता कोई मायने ही ना रखे, तो यह प्रदेश की जनता एवं भारतीय लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं हैं। गुजरात में जाति आधारित राजनीति इस समय चरम पर है, जब भाजपा को लगता है कि कोई जाति/समुदाय उसके खिलाफ है या हो सकता है तो वह अन्य जाति/समुदायों को एकत्रित कर उस समुदाय विशेष के खिलाफ लामबंद कर देती है। गुजरात में भाजपा द्वारा किसी क्षेत्र में पाटीदारों के खिलाफ अन्य जातियों को लामबंद किया गया, तो कहीं ठाकोर, कोली और चौधरी पटेल के खिलाफ अन्य जातियों को और दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि भाजपा यह करके चुनावी सफलताएं भी प्राप्त कर रही हैं। गुजरात में तो भाजपा सरकार के एक बड़े मंत्री अपने विभाग की सभी पोस्टिंग इस समय सिर्फ अपनी जाति के लोगों की ही कर रहे हैं।

चुनाव के समय में टिकट का आधार योग्यता ना होकर जाति हो जाता हैं। मुझसे बहुत से लोग कहते हैं कि गुजरात का मुख्यमंत्री पाटीदार समाज से होना चाहिए। मेरा हमेशा से ही यही मानना है कि संविधान में ऐसा कहीं नहीं लिखा है कि मुख्यमंत्री किसी जाति विशेष से हो। ऐसा व्यक्ति जो सभी को साथ लेकर चल सके, जिसके मन में किसी समाज/जाति के लिए भेदभाव ना हो, वह व्यक्ति ही किसी सर्वोच्च पद पर होना चाहिए। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी और सरदार पटेल, जिन्होंने भारत को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया, पूरे देश को एकता के सूत्र में बाँधा, यदि उनकी जन्मभूमि में ही जातिवाद की भावना लगातार बढ़ रही है तो उनकी पवित्र आत्मा को कितनी तकलीफ हो रही होगी।

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मेरे लिए आदर्श स्थिति होगी कि यदि मुख्यमंत्री पाटीदार समाज से है तो वह अपनी समाज के साथ ठाकोर, ब्राम्हण, कोली सभी समुदायों के लोगों का काम उतनी ही दिलचस्पी से करे। गुजरात के 6.50 करोड़ लोगों को जो बिना किसी जाति, समुदाय, समाज के भेदभाव के बिना साथ लेकर चले, वही व्यक्ति मुख्यमंत्री हो।

दुर्भाग्य का विषय है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार में भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सिर्फ और सिर्फ जातीय समीकरणों को साधने का प्रयास हैं। जिन राज्यों में आने वाले महीनों में विधानसभा चुनाव होने है, वहां की प्रमुख जातियों के नेताओं को मंत्री बनाए जाने की चर्चा हैं। जहाँ चुनाव हो गए, काम निकल गया, उन जातियों के नेताओं को हटाया जाएगा। वैसे भी व्यक्ति केंद्रित सरकार में किसी मंत्री या विभाग का कोई मतलब नहीं रह गया है, सारे काम प्रधानमंत्री कार्यालय से ही संचालित होते हैं। अब काम योग्यता नहीं सिर्फ और सिर्फ सोशल इंजीनियरिंग पर चल रहा हैं।

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दुनिया का कोई भी देश देख लें, वह विकसित तभी हुआ जब वहाँ युवा शिक्षित हुए, व्यापार-धंधों में तरक्की हुई, सरकार में अच्छे लोगों की नियुक्ति हुई और उन अच्छे लोगों ने अच्छी नीतियां बनाईं। गुजरात और फिर देश के लिए भी यही बात लागू होती है, कि अच्छे लोग राजनीति में रहें जो गंदगी को साफ कर सकें और जनता के मन में सरकार के प्रति विश्वास प्रकट हो सके। गुजरात के युवा और अन्य लोगों में अभी भी डर है कि यदि उन्होंने भाजपा सरकार के खिलाफ कुछ बोल दिया तो उनके ऊपर झूठे केस किये जायेंगे, परिवार को प्रताड़ित किया जाएगा, मैं लोगों के मन से उसी डर को बाहर निकालने की बात कर रहा हूँ। (डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं.)